नई दिल्ली। बीते सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में शानदार तेजी देखने को मिली थी। सेंसेक्स 1,293 अंक यानी 1.59% की बढ़त में रहा और निफ्टी ने भी मजबूती दिखाई। टाटा ग्रुप की टीसीएस, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस और एसबीआई जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयरों ने बाजार में जोश बनाए रखा। कुल मिलाकर 8 प्रमुख कंपनियों के मार्केट कैप में लगभग 1.94 लाख करोड़ रुपये की बढ़त दर्ज की गई।
लेकिन अब माहौल बदल सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयातित सामानों पर 100% टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद वैश्विक बाजारों में तनाव बढ़ गया है। ट्रंप ने शुक्रवार रात “ट्रुथ सोशल” पर चीन पर आक्रामक ट्रेड नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि 1 नवंबर से अमेरिका चीन पर पूरा टैरिफ लगाएगा। इसके जवाब में चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि “चीन लड़ना नहीं चाहता, लेकिन जरूरत पड़ी तो पीछे भी नहीं हटेगा।”
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इस टैरिफ वॉर का असर अमेरिकी बाजारों पर तुरंत दिखा। शुक्रवार को नैस्डैक 3.56%, एसएंडपी-500 2.71% और डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 1.90% तक गिर गया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यही पहला फैक्टर होगा, जो सोमवार से भारतीय बाजार पर दबाव डाल सकता है। निवेशकों की भावना कमजोर होने और विदेशी फंड्स की निकासी की आशंका के चलते उभरते बाजारों के शेयर और करेंसी पर असर दिखेगा।
दूसरा बड़ा फैक्टर है — कॉर्पोरेट रिजल्ट सीजन। आने वाले हफ्ते में एचसीएल टेक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, विप्रो और अन्य दिग्गज कंपनियां अपने दूसरी तिमाही (Q2) के नतीजे पेश करेंगी। अगर नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे, तो बाजार को सपोर्ट मिल सकता है, अन्यथा मुनाफावसूली की लहर दिख सकती है।
तीसरा अहम फैक्टर है — महंगाई के आंकड़े। सरकार की ओर से 13 अक्टूबर को खुदरा महंगाई (CPI) और 14 अक्टूबर को थोक महंगाई (WPI) के आंकड़े जारी किए जाएंगे। यदि महंगाई दर उम्मीद से अधिक रही, तो रिजर्व बैंक के ब्याज दरों को लेकर रुख पर असर पड़ेगा, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाला सप्ताह “वोलाटाइल” रह सकता है। अमेरिकी-चीनी तनाव, घरेलू तिमाही नतीजे और महंगाई के आंकड़े मिलकर बाजार की दिशा तय करेंगे। निवेशकों को सतर्क रहने और सेक्टर-विशिष्ट रणनीति अपनाने की सलाह दी जा रही है।








