New Delhi :नई दिल्ली : दुनिया की जनसंख्या को लेकर समय-समय पर कई शोध सामने आते रहते हैं, जिनमें जनसंख्या वृद्धि और भविष्य में संभावित गिरावट की चर्चा होती है। वर्तमान में वैश्विक आबादी करीब 8 अरब है, लेकिन विशेषज्ञों का एक नया दावा हैरान करने वाला है। उनका कहना है कि वर्ष 2300 तक पूरी दुनिया की जनसंख्या घटकर सिर्फ 10 करोड़ रह जाएगी।
New Delhi :हालांकि इससे पहले भी कई रिपोर्ट्स में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2100 तक जनसंख्या में तेज गिरावट देखने को मिलेगी। 2050 के बाद स्थिरता आने के संकेत हैं, और उसके बाद अगले कुछ दशकों में गिरावट की शुरुआत हो सकती है।
New Delhi :अब अमेरिका की ओकलाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर और तकनीकी विशेषज्ञ सुभाष काक ने इस विषय में एक नई चेतावनी दी है। उनका मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) न सिर्फ रोजगार के स्वरूप को बदल देगा, बल्कि जनसंख्या में गिरावट का एक बड़ा कारण भी बनेगा।
New Delhi : AI बनेगा जनसंख्या गिरावट का अप्रत्याशित कारक
New Delhi :न्यूयॉर्क पोस्ट से बातचीत में सुभाष काक ने कहा कि यह गिरावट किसी युद्ध या न्यूक्लियर हमले जैसी आपदा के कारण नहीं, बल्कि एआई के प्रभाव से होगी। जैसे-जैसे AI नौकरियों को अपने कब्जे में लेगा, बेरोजगारी का डर लोगों को घेर लेगा और वे बच्चे पैदा करने से हिचकेंगे। इसके परिणामस्वरूप जन्म दर तेजी से गिरेगी।
New Delhi :उन्होंने कहा कि समाज के सामने यह एक गंभीर चुनौती होगी, जिसके लिए अभी कोई ठोस तैयारी नहीं दिख रही। लोग अभी यह भी नहीं समझ पा रहे कि भविष्य किस दिशा में जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि **कंप्यूटर और रोबोट भावनात्मक नहीं होते, लेकिन वे इंसानों की जगह लगभग हर काम कर सकते हैं।
New Delhi :भविष्य का डरावना परिदृश्य
New Delhi :सुभाष काक ने अपनी पुस्तक ‘ऐज ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ में लिखा है कि भविष्य में मनुष्य शायद यह सोचकर ही बच्चे पैदा करना बंद कर देगा कि उनके लिए नौकरी नहीं होगी या जीवन कठिन होगा। यही मानसिकता जनसंख्या में गिरावट को और तेज कर सकती है।
New Delhi :उनका अनुमान है कि यदि यह रुझान जारी रहा, तो वर्ष 2300 या 2380 तक पूरी दुनिया की आबादी सिर्फ 100 मिलियन यानी 10 करोड़ तक सीमित रह जाएगी – यह आज की तुलना में बेहद चिंताजनक गिरावट होगी। यह भविष्यवाणी एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीक के लाभ और नुकसान दोनों पहलुओं को गंभीरता से समझना और संतुलन बनाना समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
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