पटना। Patna Bihar News : बिहार की राजधानी एक बार फिर उस खौफनाक दौर की याद दिला रही है, जब बड़े-बड़े कारोबारियों की जानें सरेआम ली जाती थीं। शुक्रवार देर रात पटना के नामचीन उद्योगपति गोपाल खेमका की उनके अपार्टमेंट के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वही खेमका परिवार है, जिनके बेटे गुंजन खेमका की भी छह साल पहले वैशाली में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। अब पिता की हत्या ने न केवल इस परिवार को बल्कि पूरे कारोबारी समाज को झकझोर कर रख दिया है।
Patna Bihar News : यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और बिहार की बिगड़ती लॉ एंड ऑर्डर व्यवस्था का एक और नमूना है। परिजनों का आरोप है कि घटनास्थल पर पुलिस डेढ़ घंटे बाद पहुंची, जबकि गोली चलने की आवाज, गिरते हुए खोखे और चीख-पुकार से पूरा इलाका थर्रा उठा था।
गोपाल खेमका न सिर्फ एक व्यवसायी थे, बल्कि बिहार की आर्थिक व्यवस्था में योगदान देने वाले सम्मानित चेहरे भी माने जाते थे। कभी पटना के चर्चित मगध हॉस्पिटल के मालिक रहे खेमका भाजपा विचारधारा से भी जुड़े थे। शुक्रवार को रोज़ाना की तरह वे पटना क्लब से लौट रहे थे, लेकिन होटल पनाश के पास स्थित उनके अपार्टमेंट के बाहर घात लगाए अपराधियों ने उन्हें निशाना बना लिया।
खेमका परिवार: अपराधियों का आसान निशाना?
यह पहला मौका नहीं जब खेमका परिवार पर हमला हुआ है। बेटे की हत्या के बाद भी केस लंबा खिंचा, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अब उसी परिवार के मुखिया को इस तरह निशाना बनाए जाना, यह दर्शाता है कि बिहार में व्यवसाइयों की सुरक्षा अब केवल ‘कागजों’ में रह गई है।
घटना के बाद परिजनों में आक्रोश था, अस्पताल में हंगामा हुआ और पुलिस से पहले घटनास्थल पर निर्दलीय सांसद पप्पू यादव पहुंचे, जिससे साफ होता है कि सिस्टम कितनी सुस्त हो चुकी है। रातभर व्यवसायियों की भीड़ अस्पताल और खेमका निवास पर जुटी रही, जहां सिर्फ सवाल थे—जवाब कोई नहीं।
क्या अब भी जागेगा प्रशासन?
इस हाई-प्रोफाइल मर्डर केस ने पटना पुलिस और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। लोग पूछ रहे हैं — अगर गोपाल खेमका सुरक्षित नहीं हैं, तो आम व्यापारी क्या करें?