रायपुर। New Transfer Policy 2025 : छत्तीसगढ़ सरकार ने 4 जून को कैबिनेट में लिए गए निर्णयों के अनुरूप “स्थानांतरण नीति 2025” आज जारी कर दी है। यह नीति गृह, आबकारी, खनिज, परिवहन, वाणिज्यकर, पंजीयन विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षकीय कर्मचारियों तथा राज्य के निगम, मंडल, आयोग एवं स्वायत्त संस्थाओं पर लागू नहीं होगी। नीति के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
-
जिला स्तरीय स्थानांतरण (14 जून – 25 जून 2025):
-
स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए आवेदन 6 जून से 13 जून 2025 तक संबंधित विभाग के जिला कार्यालय में स्वीकार किए जाएंगे।
-
जिला कलेक्टर, माननीय प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद तृतीय श्रेणी के अधिकारियों के संवर्ग में कार्यरत कुल कर्मचारियों के अधिकतम 10% और चतुर्थ श्रेणी के अधिकतम 15% तक स्थानांतरण कर सकेंगे।
-
परस्पर सहमति से स्वयं के व्यय पर किए गए स्थानांतरण इन प्रतिशत सीमाओं में नहीं गिने जाएंगे।
-
अनुसूचित क्षेत्र के अधिकारी का गैर-अनुसूचित क्षेत्र स्थानांतरण प्रस्तावित करते समय उसके एवजीदार (जो गैर-अनुसूचित क्षेत्र से हो) का विकल्प भी अनिवार्य तौर पर प्रस्तुत करना होगा।
-
गंभीर बीमारी (जैसे कैंसर, डायलिसिस, ओपन हार्ट सर्जरी) या मानसिक रूप से निःशक्त परिवार सदस्य के देखभाल हेतु स्थानांतरण की सुविधा जिला मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर मिलेगी।
-
छह माह से कम बची सेवा वाले अधिकारियों का स्थानांतरण केवल विकल्पी स्थान पर ही किया जाएगा।
-
25 जून 2025 से जिला स्तरीय स्थानांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
-
-
राज्य स्तरीय स्थानांतरण (14 जून – 25 जून 2025):
-
स्वैच्छिक आवेदन 6 जून से 13 जून 2025 तक विभागीय मुख्यालय में स्वीकार किए जाएंगे।
-
स्थानांतरण प्रस्ताव विभागाध्यक्ष से मुख्यमंत्री अनुमोदन हेतु मुख्य सचिवालय के माध्यम से ही आगे बढ़ेंगे।
-
अनुसूचित क्षेत्र से गैर-अनुसूचित क्षेत्र स्थानांतरण में संतुलन बनाए रखने के लिए रिक्तियों का संतुलन सुनिश्चित करना होगा (उदाहरण: सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर जिलों में दो-तिहाई पद भरे रखने का प्रयास)।
-
तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के मामले में संवर्ग में कार्यरत कुल संख्या के अधिकतम 5% (तृतीय-चतुर्थ) तक स्थानांतरण की अनुमति होगी।
-
25 जून 2025 के बाद राज्य स्तरीय स्थानांतरण पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, सिवाय अत्यावश्यक परिस्थिति के जिनमें मुख्यमंत्री अनुमोदन के बाद ही स्थानांतरण होगा।
-
-
स्थानांतरण प्रतिबंध एवं अपवाद:
-
एक ही स्थान पर दो वर्ष से कम समय से तैनात अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं किया जाएगा, सिवाय प्रथम दृष्टया शिकायत सही पाए जाने पर।
-
संवर्ग में अधिकता वाले स्थान से ही न्यूनता वाले स्थान हेतु स्थानांतरण होगा, ताकि जिलों और शहरी–ग्रामीण क्षेत्रों में संतुलन बना रहे।
-
एक वर्ष से कम सेवानिवृत्ति शेष होने पर स्थानांतरण केवल गृह जिले या विकल्पी जिले में ही किया जाएगा।
-
शिक्षक वर्ग का स्थानांतरण नहीं होगा क्योंकि उनकी युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया चल रही है।
-
-
परिरक्षण एवं समन्वय प्रक्रिया:
-
स्थानांतरण आदेश ई-ऑफिस के माध्यम से निर्धारित समयावधि में जारी किए जाएंगे; समयावधि के पश्चात जारी आदेश मान्य नहीं माने जाएंगे।
-
जिला स्तर के स्थानांतरण मामले में विभागीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री के अनुमोदन में कोई विरोधाभास न हो, इसकी जिम्मेदारी सचिव/कलेक्टर की होगी।
-
आवेदित अधिकारियों के विरुद्ध स्थानांतरण आदेश का पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
-
स्थानांतरण के विरुद्ध अपील वरिष्ठ सचिवों की समिति में, प्रकरण की स्पष्ट कुप्रक्रियाएँ होने पर ही 15 दिनों के भीतर की जा सकेगी।
-
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि नई नीति से तंत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और स्थानांतरण में असंतुलन की समस्या खत्म होगी। आगामी 14 जून से शुरू होने वाले इस अभियान में संबंधित विभागों एवं जिलों को संतुलित पदस्थापना सुनिश्चित करने का निर्देश जारी किया गया है।