Jagdeep Dhankhar : नई दिल्ली। देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक हलकों में गहरी हलचल मचा दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा तत्काल स्वीकार कर लिया है और आगे की प्रक्रिया के लिए पत्र गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि धनखड़ ने अपने विदाई समारोह में शामिल न होने और कोई भाषण न देने का निर्णय लिया है। आज सुबह संसद में भी धनखड़ उपस्थित नहीं हुए। राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे जेडीयू सांसद हरिवंश ने शुरू की, जिसके बाद पीठासीन अधिकारी घनश्याम तिवाड़ी ने सदन को राष्ट्रपति द्वारा इस्तीफा मंजूर किए जाने की जानकारी दी।
स्वास्थ्य कारण या राजनीतिक दबाव? उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे आधिकारिक तौर पर स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है, लेकिन विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों को यह तर्क गले नहीं उतर रहा। विपक्षी नेताओं ने उनके अचानक इस्तीफे पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह जगजाहिर है कि संसद में विपक्ष के साथ उनका टकरावपूर्ण रवैया रहा है, जहां विपक्ष उन्हें ‘तानाशाह’, ‘हेडमास्टर’ और ‘सरकार का प्रवक्ता’ जैसे संबोधनों से नवाज चुका है।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने बताया कि इस्तीफे से कुछ घंटे पहले तक धनखड़ सामान्य रूप से सांसदों से मुलाकात कर रहे थे। उन्होंने शाम 5 बजे तक कई सांसदों से भेंट की, और 7:30 बजे फोन पर बातचीत में भी उन्होंने कुछ असामान्य नहीं जताया। रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, “स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, लेकिन इस अचानक और अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे कुछ और भी है।”
हालिया गतिविधियाँ और विदाई से पहले का घटनाक्रम इस्तीफे से ठीक पहले, 20 जुलाई को पत्नी सुरेश धनखड़ के जन्मदिन के मौके पर उपराष्ट्रपति ने अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों को आमंत्रित कर एक निजी पार्टी दी थी। इससे पहले उन्होंने वृंदावन में एक भागवत कथा भी आयोजित करवाई थी, हालांकि कथावाचक से किए वादे के बावजूद वे स्वयं वृंदावन नहीं जा सके थे। जनवरी 2025 में वे नए उपराष्ट्रपति भवन में स्थानांतरित हुए थे, जो संसद भवन के बाद सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का सबसे अहम निर्माण है। इस गृह प्रवेश को पूरी तरह निजी और शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न किया गया था।
एक विवादित कार्यकाल जगदीप धनखड़ पहले ऐसे उपराष्ट्रपति रहे जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 में विपक्ष ने महाभियोग प्रस्ताव लाया था, हालांकि तकनीकी आधार पर यह प्रस्ताव खारिज हो गया। विपक्ष लंबे समय से उन पर सत्ता पक्ष का पक्षपातपूर्ण समर्थन करने और विपक्षी सांसदों की आवाज दबाने का आरोप लगाता रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं है। इसे मौजूदा सत्तारूढ़ दल की रणनीति, आंतरिक दबाव या भविष्य की राजनीतिक योजनाओं से भी जोड़कर देखा जा रहा है। 74 वर्षीय जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उन्होंने इससे दो साल पहले ही पद छोड़ने का फैसला किया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनकी जगह अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या यह इस्तीफा किसी बड़े राजनीतिक फेरबदल की भूमिका बना रहा है।