बिलासपुर। Chhattisgarh High Court : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में भांग की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने संबंधी जनहित याचिका को खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जनहित के नाम पर किसी के निजी हित को नहीं बढ़ाया जा सकता और ऐसी याचिकाएं न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं।
Chhattisgarh High Court : चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की युगल पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि नीति निर्माण सरकार का अधिकार क्षेत्र है, कोर्ट इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, विशेष रूप से मादक पदार्थों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर। याचिकाकर्ता एस.ए. काले ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि भांग को ‘गोल्डन प्लांट’ कहा जाता है और इसके औद्योगिक व पर्यावरणीय लाभों को देखते हुए छत्तीसगढ़ में इसकी खेती की अनुमति मिलनी चाहिए।
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याचिकाकर्ता ने अपनी मांग के समर्थन में एनडीपीएस एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि कानून औद्योगिक व वैज्ञानिक उपयोगों के लिए भांग की खेती की इजाजत देता है। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि न तो याचिकाकर्ता ने विधिसम्मत प्रक्रिया का पालन किया, न ही याचिका में जनहित के पर्याप्त आधार प्रस्तुत किए।
अदालत ने याचिका को अनुच्छेद 226 के तहत जनहित याचिका के योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता द्वारा जमा सुरक्षा राशि को जब्त करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने दो टूक कहा कि ऐसी याचिकाएं न्यायिक व्यवस्था का दुरुपयोग हैं और इस पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिए।