Monday, July 21, 2025
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MP News : मेडिकल घोटाला-बिना इलाज के उठाए 48 लाख रुपए, CM राहत कोष से भोपाल सिटी हॉस्पिटल ने की धोखाधड़ी

MP News : मधुसूदनगढ़/गुना : मध्यप्रदेश के गुना जिले से एक चौंकाने वाला मेडिकल घोटाला सामने आया है, जहां भोपाल सिटी हॉस्पिटल, मधुसूदनगढ़ पर मुख्यमंत्री सहायता राहत कोष (CM Relief Fund) से करीब 48 लाख रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि अस्पताल ने बिना मरीजों को भर्ती किए, फर्जी एस्टीमेट बनाकर सरकार से करोड़ों की चपत लगाई। मामले का खुलासा तब हुआ जब एक स्थानीय युवक ने अपने इलाज के दौरान हुई धांधली को पकड़ लिया।

फर्जी एस्टीमेट से निकाली गई सरकारी सहायता राशि
भोपाल सिटी हॉस्पिटल पर आरोप है कि उसने भोपाल, राजगढ़, रायसेन और गुना जिलों के नाम पर फर्जी मरीजों के इलाज का अनुमानित खर्च दिखाकर मुख्यमंत्री राहत कोष से लाखों रुपए वसूले। खास बात ये है कि जिन मरीजों के नाम पर ये फंड निकाला गया, उन्हें कभी भर्ती ही नहीं किया गया था।

ऐसे खुला घोटाले का पर्दाफाश
मधुसूदनगढ़ निवासी दिनेश अहिरवार इस पूरे फर्जीवाड़े को उजागर करने वाले पहले व्यक्ति बने। दिनेश अपने पैर की सर्जरी के लिए अस्पताल में पहुंचे थे। सर्जरी का खर्च 70,000 रुपये बताया गया, जिसमें से 30,000 नकद और 40,000 मुख्यमंत्री सहायता कोष से स्वीकृत करवाने की बात कही गई। लेकिन कुछ दिन बाद दिनेश को बताया गया कि फंड स्वीकृत नहीं हुआ। उन्हें शक हुआ और उन्होंने खुद जानकारी निकालनी शुरू की। इस दौरान उन्हें पता चला कि उनके जीजाजी के नाम पर भी पहले से इसी अस्पताल ने बिना इलाज के राहत कोष से फंड निकाला था। दिनेश ने जब इस पर सवाल उठाए तो अस्पताल के अकाउंटेंट ने फंड मिलने की बात मानी, लेकिन रकम लौटाने से साफ इनकार कर दिया। यही नहीं, उन्हें और भी कई फर्जी मामलों की जानकारी मिली।

MP News  दस्तावेजों में बड़ा फर्जीवाड़ा, IDs का दुरुपयोग

सरकारी दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि: भोपाल कलेक्टर ID से ₹3.30 लाख, विदिशा कलेक्टर ID से ₹3 लाख और सबसे अधिक गुना जिले से ₹27.20 लाख की राशि इस अस्पताल को ट्रांसफर की गई। कुल फर्जी भुगतान की राशि ₹48 लाख से अधिक बताई जा रही है।

सीएम राहत कोष की प्रक्रिया क्या होती है?
मुख्यमंत्री सहायता कोष से फंड पाने की एक तय प्रक्रिया होती है: अस्पताल मरीज के इलाज का अनुमानित खर्च (एस्टीमेट) तैयार करता है। इसे सीएम राहत कोष में भेजा जाता है। वल्लभ भवन (राज्य सचिवालय) में दस्तावेजों की जांच होती है। जांच के बाद इलाज की राशि मंजूर होती है। इलाज शुरू होने के बाद मरीज की फोटो भेजी जाती है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद अस्पताल को भुगतान होता है। लेकिन इस मामले में पूरी प्रक्रिया को दरकिनार कर के कागजों पर ही करोड़ों का खेल खेला गया।

शिकायत थाने से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक पहुंची
दिनेश अहिरवार ने अस्पताल द्वारा रकम लौटाने से इनकार करने के बाद स्थानीय थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद मामला मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, स्वास्थ्य विभाग, और पुलिस प्रशासन तक पहुंच गया। अब इस पूरे प्रकरण की जांच शुरू हो चुकी है, और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।

क्या कहता है प्रशासन?
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, यह मामला प्राथमिक रूप से गंभीर वित्तीय अनियमितता और सरकारी धन की धोखाधड़ी का है। संबंधित जिलों के कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी गई है और जल्द ही अस्पताल की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

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