रायपुर। Ambedkar Hospital Raipur : छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव आंबेडकर हॉस्पिटल के डॉक्टरों के लिए अब ऑपरेशन थिएटर और ओपीडी से ज्यादा चिंता का विषय कोर्ट की पेशी बन गया है। दरअसल, मेडिको-लीगल केस में बयान दर्ज कराने के लिए कोर्ट में पेश न होने पर 100 से अधिक डॉक्टरों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुके हैं। इनमें कई विभागों के सीनियर से लेकर जूनियर डॉक्टर तक शामिल हैं।
Ambedkar Hospital Raipur : गिरफ्तारी की नौबत केवल इसलिए आई क्योंकि डॉक्टर इलाज, पोस्टमार्टम या मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोर्ट में गवाही नहीं दे पाए। जबकि ऐसे केसों में डॉक्टर की गवाही न सिर्फ कानूनी रूप से अनिवार्य होती है, बल्कि मुआवजा और न्याय प्रक्रिया के लिए भी अहम होती है।
कई डॉक्टर कर रहे हैं पेशी से बचने की कोशिश
वारंट जारी होने के बाद अब कई डॉक्टर कोर्ट में हाजिरी लगा रहे हैं। वहीं, वीडियो कॉल और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी की सुविधा से थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन समाधान अब भी दूर है।
हर विभाग पर असर, महिला डॉक्टर भी नहीं अछूती
मेडिसिन, सर्जरी, न्यूरोसर्जरी, ईएनटी, रेडियोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी से लेकर आपातकालीन चिकित्सा विभाग तक के डॉक्टर इस संकट से प्रभावित हैं। महिला डॉक्टरों को भी कोर्ट की पेशियों से कोई राहत नहीं है।
Ambedkar Hospital Raipur
डॉक्टरों की दलील, ड्यूटी और पेशी में सामंजस्य मुश्किल
डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी, इमरजेंसी ड्यूटी और ऑपरेशन जैसे कार्यों में व्यस्तता के चलते कोर्ट की तारीखों पर पहुंचना आसान नहीं होता। वहीं, कई जूनियर डॉक्टर प्रशिक्षण पूरा करके राज्य छोड़ चुके होते हैं। नतीजा—पहले समन, फिर गैर-जमानती वारंट और फिर गिरफ्तारी आदेश!
विशेषज्ञ की राय: डॉक्टर की गवाही न्याय की रीढ़
फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आरके सिंह बताते हैं कि डॉक्टरों की रिपोर्ट और गवाही के बिना केस आगे बढ़ ही नहीं सकता। इसलिए कोर्ट में उनकी उपस्थिति बेहद जरूरी है।
जरूरत समाधान की
सरकार को चाहिए कि डॉक्टरों की व्यावसायिक बाध्यता और कानूनी अनिवार्यता के बीच संतुलन बनाए। वीडियो पेशी को और अधिक प्रभावी बनाना और कोर्ट-कचहरियों के साथ तालमेल बेहतर करना समय की मांग है। वरना इलाज के साथ अब डॉक्टरों को गिरफ्तारी का डर भी सता रहा है।