कोरबा: कोयलांचल क्षेत्र के गांवों में भीषण गर्मी के बीच पानी के लिए हाहाकार मचा है, जबकि एसईसीएल (SECL) प्रबंधन ने हर साल की तरह इस बार भी करोड़ों रुपये के टेंडर जारी कर दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कागजों में तो टैंकरों से पानी की सप्लाई हो रही है, लेकिन हकीकत में कई गांव अब भी बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। इस गड़बड़ी को लेकर अब भ्रष्टाचार की बड़ी परतें उजागर होने की आशंका जताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, दीपका क्षेत्र में 93 लाख रुपये और गेवरा क्षेत्र में 78 लाख रुपये के टेंडर पानी सप्लाई के लिए निकाले गए हैं। टेंडरों में हर मोहल्ले और गांव में नियमित पानी सप्लाई का दावा किया गया, लेकिन स्थानीय लोगों की शिकायत है कि टैंकर महीनों से उनके इलाके में नजर नहीं आए। कहीं-कहीं महज खानापूर्ति के लिए कभी-कभार पानी पहुंचाया जा रहा है।
पर्यावरणीय प्रभावों के चलते कोल ब्लॉक्स के आसपास जलस्तर इतना गिर चुका है कि कुएं, तालाब, बोरवेल और हैंडपंप सब सूख चुके हैं। बावजूद इसके पानी सप्लाई के नाम पर फर्जी भुगतान किए जाने का आरोप ग्रामीणों ने खुलेआम लगाया है। ग्रामीणों की शिकायतों के बाद ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कहा कि कोयला खनन के चलते जलसंकट हर साल विकराल होता जा रहा है और इसके समाधान के लिए SECL करोड़ों रुपये का टेंडर जारी करती है, लेकिन धरातल पर कोई काम नजर नहीं आता। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना सप्लाई के ही ठेकेदारों को भुगतान कर फायदा पहुंचाया जा रहा है। संगठन ने मांग की है कि गेवरा और दीपका क्षेत्रों में जारी टेंडरों की निष्पक्ष जांच हो और दोषी ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि प्रभावित गांवों में निर्बाध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। इस मुद्दे पर अब इलाके में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।