कुनकुरी। छत्तीसगढ़ सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे ‘युक्तियुक्तकरण’ अभियान पर पूर्व कुनकुरी विधायक और पूर्व संसदीय सचिव यू. डी. मिंज ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस कदम को “शिक्षा सुधार नहीं, बल्कि शिक्षकों का सिस्टमेटिक सफाया” करार दिया। मिंज ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह अभियान स्कूलों को बंद करने और शिक्षकों को दर-बदर करने की सोची-समझी साजिश है।
यू.डी. मिंज ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पर तंज कसते हुए कहा, “पहले स्कूलों में ताले डालो, फिर शिक्षकों का तबादला करो और फिर इसे ‘गुणवत्ता सुधार’ का नाम दे दो। क्या यही है नई सरकार की शिक्षा नीति?” उन्होंने कहा कि चुनावों के समय 33 हजार नौकरियों का वादा करने वाली सरकार अब उन्हीं नौकरियों से पीछे हट रही है।
उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार केवल उन स्कूलों को बंद करने की बात क्यों कर रही है जहाँ छात्र नहीं हैं, जबकि ऐसे कई स्कूल हैं जहाँ बच्चे तो हैं, लेकिन शिक्षक नहीं। “क्या सरकार बच्चों की पढ़ाई की जरूरत नहीं समझती या फिर यह भी किसी ‘युक्तियुक्त’ योजना का हिस्सा है?” मिंज ने यह भी कहा कि दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में शिक्षकों को भेजना, जहां बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं, एक तरह की प्रताड़ना है।
उन्होंने शिक्षा सचिव के उस बयान पर भी तंज कसा, जिसमें कहा गया था कि “कोई प्रताड़ना नहीं होगी”। मिंज बोले, “लगता है अब सरकार ने प्रताड़ना की परिभाषा ही बदल दी है।” उन्होंने सरकार के इस कदम को ‘स्कूल बंदी अभियान’ बताया, जिससे न सिर्फ बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि शिक्षकों की रोजी-रोटी भी छिन जाएगी।
पूर्व विधायक ने कहा कि वे शिक्षक संघ के आंदोलन का पूर्ण समर्थन करते हैं और 31 मई से शुरू हो रहे विरोध को “शिक्षकों के हक की लड़ाई” बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार को यह समझना होगा कि शिक्षा सुधार का रास्ता शिक्षकों को दूर भेजने या स्कूलों को वीरान करने से नहीं, बल्कि सुविधाएं बढ़ाकर ही संभव है।