Communications Revolution : बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में पिछले एक साल में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 300 से अधिक नए सेल फोन टावर लगाए गए हैं, जिससे माओवाद प्रभावित गांवों में संचार क्रांति आ गई है। ये टावर उन दुर्गम क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं जिन्हें सुरक्षा बलों ने माओवादियों के कब्जे से मुक्त कराया है। एक ओर जहां सरकार इसे विकास और कनेक्टिविटी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रही है, वहीं माओवादी इन टावरों को लगातार निशाना बना रहे हैं।
अबूझमाड़ में 32 टावरों की स्थापना: सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि
माओवादी प्रभावित जिलों में फैले घने जंगल, अबूझमाड़, जहां सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच लगातार संघर्ष चलता रहता है, वहां भी सुरक्षा बलों ने 32 नए टावर स्थापित किए हैं। यह सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि इन क्षेत्रों में पहले सुरक्षा कारणों से पहुंचना भी मुश्किल था। एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता उन गांवों में सेल फोन टावर और अस्पताल स्थापित करना है, जिन्हें नक्सलियों के नियंत्रण से मुक्त कराया गया है।
अबूझमाड़ में 32 नए टावर लगे: सरकार ने अबूझमाड़ जैसे घने जंगलों में 32 मोबाइल टावर स्थापित किए हैं, जहां पहले जाना भी मुश्किल था।
जहां सरकार नहीं पहुंचती थी, वहां अब नेटवर्क है: ऐसे गांव जहां सरकार कभी सुरक्षा कारणों से नहीं पहुंच पाती थी, अब कनेक्टिविटी से जुड़ रहे हैं।
माओवादियों का टावरों पर हमला जारी: विकास में बाधा डालने का प्रयास
माओवादी इन टावरों को जलाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और ग्रामीणों को डराने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें आशंका है कि ग्रामीण इन टावरों के माध्यम से उनकी गतिविधियों की जानकारी सुरक्षा बलों को दे रहे हैं। पिछले एक साल में माओवादियों द्वारा टावरों को जलाने के कम से कम चार मामले सामने आए हैं। हाल ही में, नारायणपुर जिले में एक टावर जलाया गया और दो नागरिकों की हत्या कर दी गई।
माओवादियों का टावरों पर हमला जारी: माओवादी अब भी टावरों को निशाना बना रहे हैं; पिछले साल चार बार टावर जलाए गए।
सुरक्षा शिविरों के पास टावरों की स्थापना: सुरक्षा में सुधार
टावरों को नष्ट होने से बचाने के लिए, सुरक्षा बल अब उन्हें सुरक्षा शिविरों के पास स्थापित कर रहे हैं। सरकार का लक्ष्य वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित क्षेत्रों में 79 और टावर लगाना है। गृह मंत्रालय ने LWE क्षेत्रों में 10,511 स्थानों की पहचान की है, जिनमें से लगभग 8,000 टावर पहले ही लगाए जा चुके हैं। पिछले साल नवंबर में, नारायणपुर जिले के गरपा गांव में एक सुरक्षा शिविर स्थापित होने के तीन सप्ताह के भीतर ही एक सेल फोन टावर लगा दिया गया था।
सुरक्षा शिविरों के पास लगाए जा रहे टावर: सरकार ने टावरों को सुरक्षा शिविरों के करीब लगाना शुरू किया है ताकि उन्हें माओवादियों से बचाया जा सके।
पलायन कर चुके ग्रामीणों की वापसी: उम्मीद की नई किरण
इन टावरों की स्थापना और क्षेत्र में सुरक्षा बलों की बढ़ती उपस्थिति के कारण, माओवादियों के डर से पलायन कर चुके ग्रामीण अब अपने घरों को लौटने लगे हैं। गरपा में ही, लगभग 300 लोग अपने घरों में लौट आए हैं, जिन्होंने 10-15 साल पहले LWE के चरम पर होने पर अपने घर छोड़ दिए थे। सेल फोन कनेक्टिविटी उन्हें न केवल अपने परिवारों से जुड़ने में मदद करेगी, बल्कि सरकार से भी सीधा संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगी। यह क्षेत्र में सामान्य स्थिति की बहाली और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है। लौट रहे हैं पलायन कर चुके ग्रामीण: जहां एक समय लोग नक्सलियों के डर से भागे थे, वहीं अब कनेक्टिविटी और सुरक्षा देख कर लौटने लगे हैं।