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लता मंगेशकर की जीवनी

लता मंगेशकर (1929–2022) भारतीय सिनेमा की सबसे महान गायिकाओं में से एक थीं, जिन्हें “स्वर कोकिला” और “भारत की बुलबुल” के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर से उन्हें संगीत की प्रारंभिक शिक्षा मिली।

उन्होंने मात्र 13 वर्ष की उम्र में पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालते हुए गायन शुरू किया। शुरुआती दौर में आवाज़ को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी, लेकिन 1949 में फिल्म महल के गीत “आएगा आने वाला” ने उन्हें स्टार बना दिया।

उन्होंने करीब 36 भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गाए, और उनका करियर 7 दशकों तक चला। उनके मशहूर गीतों में “लग जा गले”, “ऐ मेरे वतन के लोगों”, “तेरे बिना ज़िंदगी” जैसे अमर गीत शामिल हैं।

उन्हें भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार जैसे देश के सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हुए।

लता जी ने विवाह नहीं किया और अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया। 6 फरवरी 2022 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी आवाज़ आज भी करोड़ों दिलों में ज़िंदा है।

प्रारंभिक जीवन:

लता मंगेशकर का जन्म एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और रंगमंच अभिनेता थे। लता जी को संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से ही मिली। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था। उनका मूल नाम हेमा मंगेशकर था, जो बाद में बदलकर लता कर दिया गया।

नाम: लता मंगेशकर

उपनाम: स्वर कोकिला, भारत की बुलबुल, नाइटेंगेल ऑफ इंडिया

जन्म: 28 सितंबर 1929, इंदौर, मध्यप्रदेश (तब ब्रिटिश भारत)

निधन: 6 फरवरी 2022, मुंबई, महाराष्ट्र

परिवार:

लता मंगेशकर के चार भाई-बहन भी संगीत से जुड़े रहे —

  • आशा भोंसले (गायिका)

  • उषा मंगेशकर (गायिका)

  • मीना मंगेशकर (गायिका)

  • हृदयनाथ मंगेशकर (संगीतकार)

करियर की शुरुआत:

लता जी ने अपने करियर की शुरुआत 13 वर्ष की उम्र में की, जब उनके पिता का निधन हो गया। परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुए उन्होंने मराठी फिल्मों में अभिनय और गायन शुरू किया।

उनका पहला हिंदी गीत था “माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू”, जो फिल्म गजभाऊ (1943) के लिए रिकॉर्ड किया गया था।

संघर्ष के दिन:

शुरुआत में उनकी पतली आवाज़ को फिल्मी दुनिया में नकारा गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कठिन रियाज़, अनुशासन और मेहनत से अपने सुरों को इतना निखारा कि आने वाले समय में उनकी आवाज़ लाखों दिलों की धड़कन बन गई।

प्रसिद्धि की सीढ़ियाँ:

1949 में फिल्म महल का गीत “आएगा आने वाला” लता जी के लिए एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

कुछ प्रमुख गीत:

  • लग जा गले (Woh Kaun Thi, 1964)

  • ऐ मेरे वतन के लोगों (देशभक्ति गीत, 1963)

  • तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा नहीं (Aandhi, 1975)

  • प्यार किया तो डरना क्या (Mughal-e-Azam, 1960)

  • जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा (Taj Mahal, 1963)

संगीतकारों के साथ रिश्ता:

लता जी ने भारत के लगभग सभी प्रमुख संगीतकारों के साथ काम किया, जिनमें शामिल हैं:

  • एस. डी. बर्मन

  • आर. डी. बर्मन

  • मदन मोहन

  • शंकर–जयकिशन

  • लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल

  • नौशाद

  • सलिल चौधरी

  • ए. आर. रहमान

भाषाएँ:

लता मंगेशकर ने 36 से अधिक भाषाओं में गाने गाए, जिनमें हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, गुजराती, उर्दू, पंजाबी आदि शामिल हैं।

सम्मान और पुरस्कार:

  • भारत रत्न (2001) – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

  • पद्म भूषण (1969)

  • पद्म विभूषण (1999)

  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1989)

  • राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – 3 बार

  • फिल्मफेयर अवॉर्ड – कई बार, जिनमें बाद में उन्होंने युवा गायकों के लिए जगह छोड़ दी

विशेष उपलब्धियाँ:

  • 1945 से 2019 तक 75 वर्षों का सक्रिय गायन करियर

  • गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे अधिक रिकॉर्ड किए गए गीतों की गायिका

  • भारतीय सिनेमा में महिलाओं की आवाज़ को नई ऊँचाई देने वाली

निजी जीवन:

लता जी ने कभी शादी नहीं की। उनका पूरा जीवन संगीत को समर्पित रहा। वे बेहद सादा जीवन जीती थीं, और आध्यात्मिक प्रवृत्ति की थीं।

निधन:

6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर जी का निधन मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हुआ। वे कोविड-19 संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं से जूझ रही थीं। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

विरासत:

लता मंगेशकर सिर्फ एक गायिका नहीं थीं, वे एक युग थीं। उनकी आवाज़ ने कई पीढ़ियों को जोड़ा, रोया, हँसाया और जीना सिखाया।

उनका नाम भारतीय संगीत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। आज भी उनके गीत रेडियो, टीवी, सोशल मीडिया और हर भारतीय दिल में जीवित हैं।

“लता मंगेशकर सिर्फ नाम नहीं, एक भावना हैं — भारत की आवाज़, जिसकी गूंज सदियों तक सुनाई देगी।”

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