छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में एक बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। गरीबों के लिए बनाए गए ईडब्ल्यूएस और एलआईजी मकानों को नियमों को ताक पर रखकर मनमाने ढंग से ऊंचे ऑफर में बेचा गया। यह मकान केंद्र और राज्य सरकार की “हर गरीब को मकान” योजना के तहत बनाए गए थे। लेकिन इनकी बिक्री में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं।
आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों – एमडी पनरिया, हर्ष कुमार जोशी और एच.के. वर्मा – ने मिलीभगत कर करीब 1000 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया।
भिलाई का तालपुरी प्रोजेक्ट, बिलासपुर का अभिलाषा परिसर और रायपुर का हिमालयन हाइट्स जैसे प्रोजेक्ट इसमें शामिल हैं। यहां मकानों को बेचने के बजाय खाली छोड़ दिया गया या फिर जानबूझकर पुराना स्टॉक बताकर उनकी कीमत गिराई गई और बाद में ऊंचे रेट पर ऑफर में बेचने की तैयारी की गई।
यह भी सामने आया है कि गरीबों के नाम पर बनी यह योजना अब रियल एस्टेट फायदे का जरिया बन चुकी है। मांग के बावजूद गरीबों को मकान नहीं मिल पाए और जिनके लिए मकान बनाए गए थे, वे अब भी किराए पर या झुग्गियों में रह रहे हैं।
मामले में जांच की मांग उठ रही है और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावनाएं जताई जा रही हैं।