रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा : छत्तीसगढ़ विधानसभा में भू-राजस्व से जुड़े एक अहम विधेयक को पारित किया गया, जिससे प्रदेश के जमीन रजिस्ट्री नियमों में बड़ा बदलाव आ गया है। राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा द्वारा पेश किए गए “छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2025” के माध्यम से अब प्रदेश में 5 डिसमिल से कम कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गई है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा : यह संशोधन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के उस फैसले को पलटता है जिसमें 5 डिसमिल से कम कृषि भूमि की रजिस्ट्री को अनुमति दी गई थी। मंत्री वर्मा ने सदन में कहा कि पिछली सरकार के दौरान धड़ल्ले से इस तरह की रजिस्ट्री से अवैध प्लॉटिंग बढ़ी और कई क्षेत्रों में विवाद की स्थिति बनी। अब नए नियम के तहत यह रजिस्ट्री पूरी तरह बंद कर दी जाएगी, लेकिन यह संशोधन शहरी क्षेत्रों में लागू नहीं होगा, क्योंकि शहरों में पहले से ही कृषि भूमि डायवर्टेड मानी जाती है।
जियो-रेफरेंसिंग मैप को कानूनी मान्यता
विधानसभा में एक और महत्वपूर्ण संशोधन धारा 107 में किया गया, जिसमें जियो रिफरेन्सिंग आधारित डिजिटल नक्शों को कानूनी मान्यता दी गई है। इससे सीमांकन और बंटवारे के विवादों पर रोक लगेगी। डिजिटल नक्शे के आधार पर अब बंटवारा और अन्य भू-राजस्व कार्य होंगे।
बिल्डर्स की मनमानी पर भी रोक
विधेयक में कॉलोनी डेवलपरों को लेकर भी सख्ती दिखाई गई है। अब अगर कोई बिल्डर फ्लैट बनाता है, तो फ्लैट के साथ-साथ कॉमन एरिया की जमीन – जैसे गार्डन, रोड, मंदिर आदि – समानुपातिक रूप से क्रेताओं के नाम पर दर्ज होगी। पहले इन हिस्सों को बिल्डर कॉम्प्लेक्स या दुकान बना कर बेच देते थे।
पट्टा अधिकार की सीमा बढ़ाई गई
सरकार ने एक और विधेयक पास किया – छत्तीसगढ़ नगरीय क्षेत्रों के आवासहीन व्यक्ति को पट्टाधृति अधिकार (संशोधन) विधेयक 2025। इसके अंतर्गत अब EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए वार्षिक आय की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपए कर दी गई है। इससे अधिक लोगों को इसका लाभ मिलेगा। यह संशोधन भू-राजस्व कानून को अधिक पारदर्शी, डिजिटल और आमजन के हित में बनाने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है।