BharatNet Yojana : नई दिल्ली : भारत सरकार देश के डिजिटल भविष्य को सुरक्षित और समावेशी बनाने के लिए एक ऐतिहासिक योजना पर काम कर रही है। इस योजना का नाम है भारतनेट फेज 3, जिसके तहत आने वाले तीन वर्षों में देश के सभी छह लाख गांवों तक हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंचाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर ₹1.39 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। टेलीकॉम सचिव नीरज मित्तल ने हाल ही में CII-GCC बिजनेस समिट में इस मास्टरप्लान की जानकारी साझा की।
क्या है भारतनेट फेज 3 योजना?
भारतनेट फेज 3 के अंतर्गत देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और उनके अधीन आने वाले करीब 6 लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। यह योजना डिजिटल इंडिया मिशन का एक अहम हिस्सा है, जो ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट आधारित सेवाओं को पहुंचाने में क्रांति ला सकती है। इसमें इंटरनेट एक्सेस के साथ-साथ ई-गवर्नेंस, डिजिटल शिक्षा, टेलीमेडिसिन, और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
फाइबर नेटवर्क से जुड़ेंगे मोबाइल टावर और तैयार होगी 6G की नींव
भारतनेट योजना के तहत सिर्फ गांवों को ही नहीं, बल्कि देशभर के मोबाइल टावरों को भी ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा। यह कवायद भारत को भविष्य की 6G तकनीक के लिए तैयार करने की दिशा में अहम कदम है। सरकार इसके साथ-साथ Wi-Fi सेवाओं के विस्तार और अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी काम कर रही है।
भारत में दुनिया का सबसे सस्ता डेटा, अब रफ्तार भी जबरदस्त
नीरज मित्तल ने कहा कि भारत में इंटरनेट डेटा की कीमत महज 9 सेंट यानी ₹7-8 प्रति जीबी है, जबकि वैश्विक औसत $2.6 यानी ₹215 के आसपास है। वहीं, भारत की औसत ब्रॉडबैंड स्पीड भी 138 Mbps तक पहुंच चुकी है। देश के 99.6% GCC लोकेशन्स में पहले से 5G कवरेज है। सिर्फ दो जिले ही ऐसे बचे हैं जहां 5G नहीं पहुंचा है।
स्टार्टअप्स और SMEs को मिलेगा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट
- भारतनेट सिर्फ कनेक्टिविटी का प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह योजना टेलीकॉम सेक्टर के स्टार्टअप्स, SMEs, और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को भी बढ़ावा देने वाली है।
- सरकार जल्द ही एक सिंगल विंडो पोर्टल शुरू करेगी जिससे विदेशी कंपनियों को केबल लैंडिंग स्टेशन, स्पेक्ट्रम अप्रूवल और लाइसेंसिंग जैसी प्रक्रियाओं में आसानी हो सके।
क्या बदलेगी गांवों की तकदीर
सरकार का मानना है कि भारतनेट फेज 3 सिर्फ एक ब्रॉडबैंड प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि डिजिटल समावेशन (Digital Inclusion) का मिशन है। इससे गांवों में रहने वाले करोड़ों लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, ऑनलाइन कामकाज, ई-लर्निंग, और गवर्नमेंट स्कीम्स की सीधी पहुंच मिलेगी। इसका असर ग्रामीण रोजगार, महिलाओं की भागीदारी, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा।