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प्रदेश के 10 जिलों में हुआ रासायनिक औद्योगिक आपदा पर मॉक अभ्यास

भोपाल, 17 अप्रैल: राज्य सरकार द्वारा नागरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की तैयारियों को परखने के उद्देश्य से आज गुरुवार को सुबह 9:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक मध्यप्रदेश के 10 जिलों में एक साथ रासायनिक औद्योगिक आपदा पर आधारित मॉक अभ्यास (Mock Drill) आयोजित किया गया था। इस अभ्यास का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है।

इस मॉक ड्रिल का प्रमुख उद्देश्य यह है कि यदि भविष्य में कभी किसी औद्योगिक इकाई से रासायनिक गैस रिसाव या विषाक्त पदार्थ का प्रसार जैसी स्थिति उत्पन्न हो, तो उससे प्रभावी ढंग से कैसे निपटा जा सके। यह अभ्यास प्रशासन, राहत और बचाव एजेंसियों के समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं का आकलन करने के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही, आम नागरिकों को भी जागरूक किया जा रहा है कि ऐसी स्थिति में कैसे शांत, सतर्क और सुरक्षित रहें।

10 जिलों में हुआ अभ्यास, ये हैं प्रमुख स्थान:

  • भोपाल: सेंट्रल पॉवर रिसर्च इंस्टीट्यूट (CPRI) के सामने

  • इंदौर: एचपीसीएल एलपीजी प्लांट, एबी रोड टोल प्लाज़ा के समीप, राउखेड़ी

  • इसके अलावा ग्वालियर, जबलपुर, देवास, उज्जैन, सागर, रतलाम, कटनी और विदिशा जैसे औद्योगिक रूप से सक्रिय जिलों में भी यह अभ्यास विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के पास किया गया है।

किस – किस ने लिया भाग:

मॉक ड्रिल में निम्नलिखित विभाग और एजेंसियां सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं:

  • जिला प्रशासन

  • पुलिस विभाग

  • फायर ब्रिगेड

  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF)

  • स्वास्थ्य विभाग

  • नगर निगम

  • रेड क्रॉस और अन्य स्वयंसेवी संगठन

  • पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण विभाग

इन सभी एजेंसियों को मिलकर एक काल्पनिक रासायनिक आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों को कैसे अंजाम देना है, इसका व्यावहारिक अभ्यास कराया गया।

कैसे किया गया अभ्यास:

डिप्टी कलेक्टर एवं नोडल अधिकारी लाखन सिंह चौधरी ने बताया कि आयोजित मॉक ड्रिल के दौरान एक रासायनिक रिसाव जैसी काल्पनिक स्थिति निर्मित की गई थी। परिकल्पना के अनुसार, एक औद्योगिक इकाई से गैस के रिसाव की स्थिति मानी गई, जिसके बाद तत्काल चेतावनी जारी की गई और आसपास के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। राहत और बचाव दल मौके पर सक्रिय हुए तथा घायलों को प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराकर अस्पतालों में भर्ती कराया गया। पूरा अभ्यास वास्तविक आपात स्थिति की तरह किया गया ताकि संबंधित विभागों की प्रतिक्रिया समय और आपसी समन्वय का परीक्षण किया जा सके।

नागरिकों से अपील:

डिप्टी कलेक्टर चौधरी ने कहा कि यह अभ्यास पूरी तरह से एक प्रशिक्षण प्रक्रिया है और इससे आम नागरिकों को घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। नागरिकों से अपील की गई है कि:

  • मॉक अभ्यास के दौरान शांति बनाए रखें

  • किसी प्रकार की अफवाहों से दूर रहें

  • प्रशासन के निर्देशों का पालन करें

  • अपने आसपास के लोगों को भी सही जानकारी दें

  • यदि किसी को असुविधा हो, तो तुरंत निकटतम प्रशासनिक अधिकारी या कंट्रोल रूम से संपर्क करें

मॉक ड्रिल क्यों है जरूरी:

वर्तमान समय में तेजी से बढ़ते औद्योगिक विस्तार और रासायनिक इकाइयों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि प्रशासन और आम जनता दोनों आपदा की किसी भी संभावित स्थिति के लिए तैयार रहें। भोपाल गैस त्रासदी जैसे अतीत के अनुभवों से सबक लेते हुए अब प्रशासनिक तंत्र को कहीं अधिक सजग और सक्षम बनाने की दिशा में यह प्रयास किया जा रहा है। यह मॉक अभ्यास यह सुनिश्चित करने का एक सशक्त कदम है कि यदि भविष्य में कोई वास्तविक रासायनिक आपदा हो, तो उससे प्रभावी रूप से निपटने में कोई चूक न हो।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा किया जा रहा यह समन्वित मॉक अभ्यास राज्य की आपदा प्रबंधन क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास है। इसके माध्यम से न केवल प्रशासनिक मशीनरी की दक्षता को परखा जा रहा है, बल्कि आम नागरिकों को भी आपातकालीन स्थिति में सतर्क और सजग रहने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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