रायपुर। Chhattisgarh News : चैतन्य बघेल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस ने मंगलवार को प्रदेशभर में आर्थिक नाकेबंदी कर विरोध जताया। लेकिन इसके जवाब में राज्य के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कांग्रेस को उसके ही शासनकाल के फैसलों को लेकर कठघरे में खड़ा कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर चौधरी ने कांग्रेस से पांच बड़े और तीखे सवाल पूछे हैं, जिनका जवाब अब तक सामने नहीं आया है।
Chhattisgarh News : वित्त मंत्री ने कांग्रेस से पूछा:
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क्या 16 अक्टूबर 2019 को गारे-पेलमा कोयला ब्लॉक मामले में जनसुनवाई कांग्रेस शासन में नहीं कराई गई थी?
चौधरी का दावा है कि इस जनसुनवाई की अनुमति कांग्रेस सरकार ने दी थी, जो आज अडानी के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन की जड़ मानी जा रही है। -
क्या 31 मार्च 2021 को गारे पेलमा सेक्टर-2 को पर्यावरणीय स्वीकृति कांग्रेस सरकार ने ही नहीं दी थी?
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संबंधी अनुमतियां देने की प्रक्रिया कांग्रेस शासन में ही शुरू हुई। -
क्या 19 अप्रैल 2022 को फॉरेस्ट क्लीयरेंस (स्टेज-1) की सिफारिश भूपेश बघेल की सरकार ने नहीं की थी?
इस सवाल के जरिए कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क का आरोप लगाया गया। -
क्या 23 जनवरी 2023 को स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लीयरेंस की सिफारिश भी कांग्रेस सरकार में नहीं हुई थी?
यानी कि जब कोयला खनन की अंतिम स्वीकृति दी गई, तब भी कांग्रेस सत्ता में थी। -
क्या महाराष्ट्र में जब MAHAGENCO ने अडानी ग्रुप को MDO नियुक्त किया, उस समय वहां कांग्रेस समर्थित सरकार नहीं थी?
यह सवाल कांग्रेस के दोहरे रवैये की ओर इशारा करता है, जहां वह एक राज्य में समर्थन देती है और दूसरे राज्य में विरोध।
क्यों उठे ये सवाल?
ओपी चौधरी का कहना है कि कांग्रेस आज सड़कों पर उतरकर केंद्र सरकार और अडानी विरोध की राजनीति कर रही है, लेकिन जब उसे सत्ता में रहते हुए निर्णय लेने थे, तब उसने खुद इन्हीं परियोजनाओं को स्वीकृति दी थी। अब चैतन्य बघेल पर ईडी की कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस जिस तरह से आर्थिक नाकेबंदी जैसे कदम उठा रही है, उसे ‘सिर्फ दिखावा’ कहा जा रहा है।