सोलापुर, महाराष्ट्र। Solapur Maharashtra : आम को यूं ही नहीं ‘फलों का राजा’ कहा जाता—लेकिन जब कोई आम अपने आकार, स्वाद और नाम से खुद राजा जैसा बन जाए, तो कहानी खास हो जाती है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के अरन गांव के किसान दत्तात्रय गडगे ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। उन्होंने न सिर्फ आम की पारंपरिक पहचान को चुनौती दी, बल्कि एक तीन किलो वजनी आम उगाकर उसे पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार के नाम पर ‘शरद आम’ का नाम भी दे दिया।
Solapur Maharashtra : पेड़ पर प्रयोग, खेत में क्रांति
गडगे ने आम की पारंपरिक खेती में नवाचार को अपनाया। उन्होंने केसर, झाड़ी, केला जैसी कई किस्मों की ग्राफ्टिंग करके एक ऐसा पेड़ तैयार किया, जिसने सभी को चौंका दिया। एक ही पेड़ से जब तीन किलो का आम निकला, तो यह सिर्फ उनके खेत का नहीं, पूरे इलाके का चर्चित विषय बन गया।
प्रेरणा शरद पवार की योजना से
गडगे बताते हैं कि उन्हें यह प्रयोग ‘फल बाग योजना’ से प्रेरित होकर करना सूझा, जो शरद पवार के मुख्यमंत्री कार्यकाल में शुरू की गई थी। उसी योजना के तहत उन्होंने 8 एकड़ में करीब 10,000 आम के पौधे लगाए और लगातार प्रयोग करते रहे।
आम नहीं, अब एक ब्रांड
‘शरद आम’ केवल एक फल नहीं, अब यह एक ब्रांड बन चुका है। किसान गडगे ने इसका नाम ‘शरद आम’ रखकर इसका पेटेंट भी करवा लिया है, जिससे यह किस्म अब उनके नाम से और पवार साहब के सम्मान से जुड़ चुकी है।
वैज्ञानिकों की नजर, शोध का विषय
इस खास आम की जानकारी मिलते ही बारामती स्थित कृषि कॉलेज के विशेषज्ञों की टीम अरन गांव पहुंची। यह आम न सिर्फ आकार में असाधारण है, बल्कि इसकी मिठास और बनावट भी वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बन गई है।
गडगे का सपना है कि यह आम सिर्फ उनके गांव तक सीमित न रहे, बल्कि पूरे देश में इसे एक नई किस्म के रूप में अपनाया जाए। उनका कहना है, “खेती में बदलाव तभी आएगा, जब हम परंपरा में नवाचार जोड़ें।”शरद आम अब फल से बढ़कर एक विचार बन चुका है—जिसमें मेहनत, सम्मान और विज्ञान का स्वाद घुला है।