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भगवान गणेश को क्यों माना गया ‘प्रथम पूज्य’? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

छत्तीसगढ़। हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है—चाहे वह नया व्यवसाय शुरू करना हो, कोई वाहन खरीदना हो या गृह प्रवेश—उससे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे की मान्यता क्या है और क्यों भगवान गणेश को ‘प्रथम पूज्य’ कहा जाता है? भगवान गणेश को हिंदू धर्म में विघ्नहर्ता और सौभाग्य के देवता माना गया है। उनकी पूजा से कार्य में आने वाली सभी रुकावटें दूर हो जाती हैं। यही कारण है कि लोग किसी भी नए काम की शुरुआत उनके नाम से करते हैं।

गणेश चतुर्थी के मौके पर देशभर में भगवान गणेश की भव्य पूजा होती है। लेकिन यह केवल एक पर्व तक सीमित नहीं है। भगवान गणेश उन गिने-चुने देवताओं में से हैं, जिनकी पूजा प्रतिदिन, विशेष अवसरों और सभी धार्मिक अनुष्ठानों में पहले की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार सभी देवी-देवताओं के बीच इस बात को लेकर विवाद हुआ कि सबसे पहले पूजा किसकी की जानी चाहिए। इस विवाद का समाधान निकालने के लिए नारद मुनि ने सभी को भगवान शिव के पास भेजा। भगवान शिव ने सभी देवताओं के सामने एक प्रतियोगिता रखी—जिसमें सभी को अपने-अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करनी थी। जो सबसे पहले लौटेगा, उसे ‘प्रथम पूज्य’ का स्थान मिलेगा।

जहां सभी देवता अपने तेज गति वाले वाहनों पर सवार होकर निकल पड़े, वहीं भगवान गणेश अपनी सवारी चूहे को देखकर चिंतित हो उठे। लेकिन उन्होंने बुद्धिमत्ता से काम लिया। उन्होंने ब्रह्मांड की जगह अपने माता-पिता—भगवान शिव और माता पार्वती—की सात बार परिक्रमा की और उन्हें ही अपना सम्पूर्ण ब्रह्मांड मान लिया। जब सभी देवता अपनी यात्रा समाप्त कर लौटे, तो उन्होंने देखा कि गणेश जी पहले से ही वहां उपस्थित हैं। यह देख सभी आश्चर्यचकित रह गए।

भगवान शिव ने गणेश जी की इस समझदारी और भक्ति को देखते हुए उन्हें विजेता घोषित किया और कहा कि माता-पिता की परिक्रमा करना ब्रह्मांड की परिक्रमा के समान है। तभी से यह परंपरा बन गई कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से की जाती है।

भगवान गणेश न केवल विघ्नों को दूर करने वाले हैं, बल्कि उन्होंने यह भी सिखाया कि किसी भी कार्य में केवल शक्ति नहीं, बल्कि बुद्धि और भक्ति से भी विजय प्राप्त की जा सकती है। यही कारण है कि आज भी हर शुभ कार्य की शुरुआत उनके स्मरण और पूजा से की जाती है।

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