Revolution in indian comics: भारतीय कॉमिक्स उद्योग का समृद्ध और विविधतापूर्ण इतिहास है। यह इतिहास एक शताब्दी से भी अधिक पुराना है। भारत में कॉमिक्स की अवधारणा औपनिवेशिक काल के दौरान समाचार पत्रों में सिंडिकेटेड कॉमिक स्ट्रिप्स के रूप में शुरू हुई। इसमें द फैंटम और मैनड्रेक द मैजिशियन जैसे लोकप्रिय पश्चिमी पात्र थे। इन प्रारंभिक स्ट्रिप्स ने एक विशिष्ट भारतीय कॉमिक परंपरा की नींव रखी। स्वतंत्रता के बाद, इस उद्योग ने आकार लेना शुरू किया तथा चंदामामा, चम्पक जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों और कई क्षेत्रीय प्रकाशनों ने युवा पाठकों को आकर्षित किया। 1967 में अमर चित्र कथा (एसीके) का शुभारंभ भारतीय कॉमिक्स के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था जिसमें जीवंत चित्रों के माध्यम से भारतीय पौराणिक कथाओं, इतिहास और लोककथाओं की कहानियां बताई गईं।
Revolution in indian comics: 1970 से 1990 के दशक को प्राय: भारतीय कॉमिक्स का स्वर्ण युग कहा जाता है। चाचा चौधरी, बिल्लू और पिंकी जैसे प्रिय पात्रों के रचयिता प्राण कुमार शर्मा अपने हास्यपूर्ण तथा सामाजिक रूप से प्रासंगिक कॉमिक्स के लिए घर-घर में जाने जाने वाले नाम बन गए। राज कॉमिक्स एक प्रमुख प्रकाशन के रूप में उभरा जिसने नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव और डोगा जैसे प्रतिष्ठित सुपरहीरो पात्रों का निर्माण किया। इस अवधि में कॉमिक्स व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंच गई, तथा बच्चे और वयस्क दोनों ही काल्पनिक दुनिया में डूब गए।
Revolution in indian comics: 2000 के दशक में भारतीय कॉमिक्स के लिए डिजिटल युग का आगमन हुआ जिससे उद्योग में नए प्रकाशन आये। इन प्रकाशनों ने भारतीय पाठकों के लिए नये दृष्टिकोण और आधुनिक कहानियां प्रस्तुत की तथा नए रचनाकारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। कोविड-19 लॉकडाउन ने अप्रत्याशित रूप से भारतीय कॉमिक पुस्तकों में रुचि को पुनर्जीवित कर दिया। पाठक इस माध्यम से फिर से जुड़ गए। नये स्वतंत्र प्रकाशक उभरे या प्रसिद्ध हुए तथा नवीन कथा-कथन और विषय-वस्तु को आगे बढ़ाया। भारत में मंगा की बढ़ती लोकप्रियता ने भारतीय रचनाकारों के लिए नए रास्ते खोल दिए। कई नए ऑनलाइन कॉमिक पुस्तक विक्रेता भी उभरे जिनमें से कुछ ने प्रकाशन के क्षेत्र में भी कदम रखा। इस प्रगति के बावजूद, वितरण, वित्तीय व्यवहार्यता, तथा सांस्कृतिक और पीढ़ीगत स्वीकृति कॉमिक्स उद्योग के लिए प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं।
Revolution in indian comics: आज भारतीय कॉमिक्स उद्योग का पुनरुत्थान हो रहा है। भारतीय कॉमिक्स एसोसिएशन (आईसीए) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के बीच सहयोग से वेव्स कॉमिक्स क्रिएटर चैम्पियनशिप जैसी पहल के शुभारंभ से इस उद्योग के पुनरुत्थान की नई उम्मीद जगी है। यह चैंपियनशिप वेव्स की एक प्रमुख पहल थी। इसका उद्देश्य भारत के रचनात्मक उद्योगों को विश्व मंच पर ऊंचा उठाना है। उभरती प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने वाली एक गतिशील व्यवस्था को बढ़ावा देने, भारतीय कॉमिक्स को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करने तथा परंपरा को आधुनिक कहानी कहने के साथ जोड़ने के माध्यम से, आईसीए और वेव्स का इस उद्योग पर बहुत प्रभाव पड़ेगा।
Revolution in indian comics: वेव्स कॉमिक्स क्रिएटर चैम्पियनशिप में दो श्रेणियां हैं: पेशेवर और शौक़िया। आठ लाख रुपये की नकद पुरस्कार राशि, प्रकाशन के अवसर और राष्ट्रीय मान्यता के साथ यह आयोजन भारतीय कॉमिक्स उद्योग के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम है। प्रतियोगिता प्रारूप में कई चरण थे जिसमें एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल प्रविष्टियों का मूल्यांकन करता था और विजेताओं का चयन करता था।
जूरी पैनल में उद्योग जगत के दिग्गज शामिल थे, जिनको इस क्षेत्र में बहुत अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त थी। प्रसिद्ध हास्य कलाकार और चित्रकार दिलीप कदम ने विभिन्न प्रमुख प्रकाशकों के साथ काम किया है और भोकाल सहित भारत के कुछ सबसे प्रिय हास्य पात्रों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा के पुत्र और स्वयं एक प्रसिद्ध कॉमिक रचनाकार निखिल प्राण, पैनल को विशेष बनाया। जैज़िल होमावज़ीर, एक पुरस्कार विजेता एनीमेशन पेशेवर और भारत के पहले और सबसे लंबे समय तक चलने वाले वेब मंगा, द बीस्ट लीजन के निर्माता, प्रतियोगिता में एक नया और अभिनव दृष्टिकोण लेकर आए। राज कॉमिक्स के संस्थापक और भारत के सबसे लोकप्रिय सुपरहीरो के निर्माता संजय गुप्ता उद्योग के रुझानों और मांगों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की। अमर चित्र कथा की अध्यक्ष और सीईओ प्रीति व्यास ने विषय-वस्तु में अपने व्यापक ज्ञान और अनुभव के साथ पैनल को पूर्णता प्रदान की।
Revolution in indian comics:चैंपियनशिप को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और देश भर से हजारों प्रविष्टियां प्राप्त हुई। कठोर चयन प्रक्रिया के बाद, 76 सेमीफाइनलिस्ट चुने गए जिनमें 9-13 वर्ष के विद्यार्थियों के लिए छह विशेष जूरी उल्लेख भी शामिल थे। ये सेमीफाइनलिस्ट 20 राज्यों और एनसीआर के 50 शहरों से हैं। यह देश के सभी कोनों से प्रतिभाओं को बढ़ावा देने की चैंपियनशिप की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रतियोगिता अब 10 फाइनलिस्टों तक सीमित कर दी गई है। ये फाइनलिस्ट मुम्बई में होने वाले विश्व दृश्य-श्रव्य मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) में प्रतिस्पर्धा करेंगे।
Revolution in indian comics: 1-4 मई, 2025 तक आयोजित होने वाला वेव्स शिखर सम्मेलन भारतीय रचनात्मकता और नवाचार का उत्सव मनाने का वादा करता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) की “क्रिएट इन इंडिया” पहल के तहत एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में, वेव्स का उद्देश्य भारतीय रचनाकारों को अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों के साथ जुड़ने और नई साझेदारियां बनाने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
Revolution in indian comics: भारतीय कॉमिक्स उद्योग पर कॉमिक्स क्रिएटर चैम्पियनशिप के संभावित प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उभरती प्रतिभाओं को अपना काम प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करके, यह चैंपियनशिप कॉमिक रचनाकारों की एक नई पीढ़ी को बढ़ावा देने में मदद कर रही है। उद्योग को सहयोग देने तथा वैश्विक स्तर पर भारतीय कॉमिक्स को बढ़ावा देने में भारतीय कॉमिक्स एसोसिएशन (आईसीए) की भूमिका इस पहल को सफल बनाने में महत्वपूर्ण रही है। आईसीए और वेव्स इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं क्योंकि उद्योग अपना पूर्व गौरव पुनः प्राप्त करना चाहता है। कॉमिक्स क्रिएटर चैम्पियनशिप जैसी पहल से, भारतीय कॉमिक्स का भविष्य पहले से कहीं अधिक उज्ज्वल दिखाई दे रहा है।