Renukaswamy Murder Case : नई दिल्ली/बेंगलुरु: सुप्रीम कोर्ट ने कन्नड़ फिल्म अभिनेता दर्शन थुगुदीप और अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा से जुड़े बहुचर्चित रेणुकास्वामी हत्या मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह मामला विवेकाधिकार के प्रयोग की न्यायिक जांच का विषय है। कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को प्रथम दृष्टया विवेकाधिकार के विकृत प्रयोग का उदाहरण बताया और इस पर गंभीर चिंता जताई।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: “क्या हाईकोर्ट ने दिमाग का इस्तेमाल किया…
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश न्यायिक विवेक के दायरे से बाहर प्रतीत होता है। उन्होंने पूछा, “क्या हाईकोर्ट हर हत्या मामले में इसी प्रकार का आदेश देता है? क्या हत्या जैसे गंभीर अपराध में गिरफ्तारी के आधार न होना उचित ठहराया जा सकता है?”
पीठ ने यह भी कहा कि न्यायालय यह परखना चाहता है कि जमानत देने के दौरान न्यायिक विवेक का प्रयोग उचित ढंग से किया गया या नहीं।
मामला क्या है…
रेणुकास्वामी (33 वर्ष) नामक युवक पर अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा को कथित तौर पर अश्लील संदेश भेजने का आरोप था। पुलिस के अनुसार, इस कारण अभिनेता दर्शन और उसके साथियों ने उसका अपहरण किया, तीन दिन तक बेंगलुरु में एक स्थान पर रखकर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और फिर हत्या कर शव को एक नाले में फेंक दिया गया। पुलिस जांच में घटना की विस्तृत योजना, सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल्स और अन्य सबूतों के आधार पर 17 से अधिक आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
हाईकोर्ट ने क्यों दी थी जमानत…
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी पहले ही पुलिस कस्टडी में रह चुके हैं और प्रत्यक्ष साक्ष्य की कमी के आधार पर उन्हें अंतरिम राहत दी जा सकती है। साथ ही कोर्ट ने उनकी सामाजिक स्थिति और पेशेवर पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक विवेक के गलत उपयोग की संज्ञा दी है।