इटावा | Politics News : उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचकों के साथ बदसलूकी के मामले ने अब खुलकर राजनीतिक रंग ले लिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पूरे प्रकरण को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री पर सीधे आरोप मढ़ दिए। अखिलेश ने कहा, “धीरेंद्र शास्त्री कथा के बदले अंडर टेबल मोटी रकम लेते हैं। किसी की औकात है क्या जो उन्हें अपने घर कथा करवाने बुला ले?” इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैल गई है।
Politics News : इटावा कांड से शुरू हुई आग, अब बयानों की जंग
21 जून को इटावा के दांदरपुर गांव में कथा वाचक मुकुटमणि यादव और संत कुमार यादव के साथ कथित तौर पर जातिगत आधार पर बदसलूकी और मारपीट की गई थी। ग्रामीणों ने उन पर जाति छुपाकर ब्राह्मणों जैसा वेश धारण करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि कथावाचकों की चोटी काट दी गई और जबरन सिर मुंडवा दिया गया।
इस घटना के बाद अखिलेश यादव ने दोनों कथावाचकों को सपा कार्यालय बुलाया, सम्मानित किया और उन्हें 51 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी। इसके बाद विपक्ष ने सपा पर “जाति की राजनीति” करने का आरोप लगाया। हालांकि अखिलेश ने इसे ‘पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक)’ का समर्थन बताया।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की आहट?
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि सपा प्रमुख के बयानों से अब यह विवाद ब्राह्मण बनाम यादव की दिशा में जाता दिख रहा है। वहीं, बागेश्वर धाम समर्थकों ने अखिलेश यादव के बयान की निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया है। धीरेंद्र शास्त्री की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि सपा प्रमुख समाज में वैमनस्य फैलाने का काम कर रहे हैं।
पुलिस जांच जारी, दोनों पक्षों पर केस
पुलिस ने इस मामले में अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि कथावाचकों पर भी फर्जी आधार कार्ड और धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज किया गया है।अब देखना यह है कि ये मामला धार्मिक भावनाओं की रक्षा का है या राजनीतिक लाभ की पटकथा का एक नया अध्याय। इतना जरूर तय है कि इटावा की एक घटना से उत्तर प्रदेश की सियासत में जातिगत बिसात एक बार फिर बिछती दिखाई दे रही है।