नई दिल्ली। Mumbai Blast Case Update : देश को दहला देने वाले 2006 मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के 12 आरोपियों को बरी करने के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि हाईकोर्ट के फैसले को फिलहाल कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता। महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
Mumbai Blast Case Update : हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में सुनाई थी रिहाई की सजा
तीन दिन पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष (प्रॉसीक्यूशन) आरोपियों पर लगे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है। अदालत ने कहा था कि सबूत इतने कमजोर हैं कि इन आरोपियों को दोषी करार नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया था और कहा था कि अगर वे किसी अन्य केस में वॉन्टेड नहीं हैं तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाईकोर्ट का फैसला ‘मिसाल’ नहीं बनेगा
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट का यह निर्णय किसी अन्य मामले में मिसाल (Precedent) के तौर पर नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि कुछ आरोपी पाकिस्तानी नागरिक भी हैं, इसलिए मामले में गंभीरता से सुनवाई की जरूरत है।
रिहाई के आदेश के बाद दो आरोपी बाहर आए थे जेल से
बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद नागपुर सेंट्रल जेल से एहतेशाम सिद्दीकी और मोहम्मद अली नामक दो आरोपियों को रिहा कर दिया गया था। एहतेशाम को ट्रायल कोर्ट ने 2015 में फांसी की सजा सुनाई थी जबकि मोहम्मद अली को उम्रकैद मिली थी। हालांकि बाकी आरोपी अभी जेल में हैं, क्योंकि उनमें से कुछ अन्य मामलों में भी आरोपी हैं।
2006 में दहल गई थी मुंबई की रफ्तार
11 जुलाई 2006 को मुंबई की वेस्टर्न लोकल ट्रेनों के सात डिब्बों में एक के बाद एक सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इन धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 824 लोग घायल हुए थे। सभी विस्फोट फर्स्ट क्लास कोच में रखे प्रेशर कुकर बमों के जरिए किए गए थे। इस घटना के 19 साल बाद अदालतों में अब तक कानूनी लड़ाई जारी है।
आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों से चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद अगली सुनवाई में तय होगा कि मामले की अगली कानूनी प्रक्रिया क्या होगी। इस फैसले से आरोपियों की रिहाई फिलहाल टल गई है और केस में एक बार फिर कानूनी पेच गहराता नजर आ रहा है।C