रायपुर। Hareli Tihar 2025 : छत्तीसगढ़ की धरती पर जब सावन की पहली हरियाली खिलती है, तब किसानों के दिलों में हरेली तिहार की उमंग जागती है। यह सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि किसान की मेहनत, प्रकृति की कृपा और धरती माता के प्रति श्रद्धा का जीवंत उत्सव है।
Hareli Tihar 2025 : हरेली शब्द का अर्थ ही है – “हरियाली के चारों तरफ उत्सव”। जब खेतों में जुताई-बोआई पूरी हो जाती है और धान के नन्हे पौधे मिट्टी को हरा रंग देने लगते हैं, तभी छत्तीसगढ़ का किसान अपनी परंपराओं के साथ कृषि यंत्रों की पूजा कर उन्हें नई ऊर्जा देता है।
इस दिन गांव-गांव में गुड़ के चीले की मिठास हवा में घुलती है, और किसान अपने हल, गैंती, कुदाल को धूप-दीप दिखाकर उनका सम्मान करते हैं। पूजा के बाद नारियल और गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है। गांव के ठाकुर देव को महुआ की डाल अर्पण कर अच्छी फसल और खुशहाली की कामना की जाती है।
Hareli Tihar 2025
छत्तीसगढ़ के हरेली तिहार की एक और रोचक परंपरा है ‘गेड़ी चढ़ना’। बच्चे हों या युवा, सभी बांस से बनी गेड़ियों पर चढ़कर गांव की गलियों में नाचते-गाते नजर आते हैं। यह परंपरा केवल खेल नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन में संतुलन और कौशल का प्रतीक है।
प्रदेशभर के गांवों में आज सुबह से ही खेतों में पूजा अर्चना की गई। किसानों ने फसलों के बीच महुआ के डंगाल (डंडे) लगाए, जो उनकी आस्था और परिश्रम का प्रतीक माने जाते हैं। हरेली तिहार के जरिए किसान प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जताते हैं और आने वाली फसल के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
आज का दिन किसानों, मजदूरों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए केवल त्योहार नहीं, बल्कि मिट्टी से जुड़ाव और अपने श्रम के सम्मान का दिन है।