Wednesday, July 23, 2025
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AI से इमोशनल बॉन्डिंग : क्या मशीनें रिश्तों की जगह ले रही हैं?….लोगो की सोचने की क्षमता हो रही खत्म

AI से इमोशनल बॉन्डिंग : आज का किशोर वर्ग AI को न सिर्फ पढ़ाई और सामान्य जानकारी पाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है, बल्कि वह इसे अपना दोस्त, सलाहकार और ‘भावनात्मक कंधा’ भी मानने लगा है। अमेरिका में किए गए हालिया अध्ययन में सामने आया है कि 70% किशोरों ने AI चैटबॉट्स का इस्तेमाल किया है और करीब आधे इन्हें नियमित तौर पर प्रयोग करते हैं।

AI से इमोशनल बॉन्डिंग : Character.AI, Replika और ChatGPT जैसे टूल्स से न सिर्फ बातें की जा रही हैं, बल्कि किशोर अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़े फैसले भी इन्हीं डिजिटल सहायकों की मदद से ले रहे हैं। 15 वर्षीय छात्रा काइला चेगे बताती हैं कि वह शॉपिंग टिप्स से लेकर पार्टी प्लानिंग तक हर सलाह ChatGPT से लेती हैं।

कई किशोरों के लिए AI ‘जज’ नहीं करता, ‘थकता’ नहीं और हमेशा उपलब्ध रहता है। यही कारण है कि उन्हें लगता है कि AI उनसे बेहतर “समझता” है। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि कहीं यह तकनीकी दोस्ती किशोरों की सामाजिक कुशलता और भावनात्मक विकास को नुकसान न पहुंचा दे।

रिपोर्ट बताती है कि 31% किशोर AI से बात करके उतना ही संतोष पाते हैं जितना किसी इंसानी दोस्त से। जबकि 33% ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन के अहम फैसलों के लिए AI से राय ली है।

और तो और, SpicyChat AI जैसे एडल्ट टूल्स भी अब किशोरों में लोकप्रिय हो रहे हैं, जिससे मनोवैज्ञानिकों की चिंता और गहरी हो गई है। रिसर्चर ईवा टेल्जर बताती हैं कि अब 8 साल तक के बच्चे भी AI से बातचीत कर रहे हैं — यह ट्रेंड न सिर्फ सोचने की आज़ादी, बल्कि असली रिश्तों की अहमियत को भी चुनौती दे रहा है।

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