Digital Scam : मनीष ऋषीश्वर/भिंड। नगर पालिका भिंड एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। इस बार मामला है लाखों के भुगतान में नियमों की अनदेखी और नगरपालिका अध्यक्ष के डोंगल (डिजिटल सिग्नेचर) को जानबूझकर दरकिनार करने का। नगरपालिका अध्यक्ष की शिकायत के बाद भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने खुद नगर पालिका कार्यालय पहुंचकर दस्तावेज़ों की जांच की और प्रारंभिक स्तर पर एक फाइल में गंभीर अनियमितता उजागर हुई है।
जानकारी के अनुसार, नगर पालिका में 5 लाख रुपये से अधिक के भुगतान के लिए अध्यक्ष के डिजिटल सिग्नेचर (डोंगल) की आवश्यकता होती है। लेकिन इस नियम से बचने के लिए भुगतान की राशि जानबूझकर 4.99 लाख रुपये तक सीमित कर दी गई, जिससे अध्यक्ष की डिजिटल सहमति की आवश्यकता ही न पड़े।
यह मामला तब सामने आया जब नगर पालिका के पार्षदों, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने कलेक्टर से शिकायत की कि कई भुगतान बिना अध्यक्ष के डोंगल के किए जा रहे हैं। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने तत्काल नगरपालिका का दौरा किया और एक फाइल में पाया कि 4.99 लाख रुपये का भुगतान बिना डोंगल के कर दिया गया, हालांकि अध्यक्ष ने पहले ही इसकी अनुशंसा की थी।
कैसे हो रहा है खेल?
सूत्रों के मुताबिक, नगर पालिका में यह एक पैटर्न बन चुका है — भुगतान की राशि जानबूझकर 5 लाख से कुछ हजार रुपये कम बताई जाती है ताकि अध्यक्ष की डिजिटल सहमति न लेनी पड़े। बाद में, बचे हुए भुगतान को एक अलग बिल के जरिए किया जाता है, जिससे पूरा काम बिना अध्यक्ष के डोंगल के पूरा हो जाता है। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
जानकारों का कहना है कि यदि अध्यक्ष वाकई अनियमित भुगतान रोकना चाहती थीं, तो अनुशंसा ही क्यों करतीं? क्योंकि अधिकांश मामलों में उनकी अनुशंसा पहले से ही फाइल में मौजूद थी।
जांच अभी जारी है
कलेक्टर ने अभी केवल एक फाइल की समीक्षा की है और संकेत दिए हैं कि आगे और फाइलों की जांच की जाएगी। यदि अन्य फाइलों में भी ऐसा ही पैटर्न सामने आता है, तो यह मामला बड़ा घोटाला बन सकता है।
भिंड की जनता अब जवाब मांग रही है — क्या यह तकनीकी चूक थी या सुनियोजित अनियमितता? जवाब आने वाले दिनों में जांच के नतीजों से मिल सकता है।
संवाददाता –