नई दिल्ली, 25 मई – केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूली शिक्षा को बच्चों की समझ के ज्यादा करीब लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नई गाइडलाइन के तहत अब प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 5वीं तक के बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाएगा।
CBSE का मानना है कि 3 से 11 वर्ष की उम्र के बच्चे किसी भी विषय को सबसे बेहतर तरीके से तब सीखते हैं जब वह उन्हें उनकी घरेलू भाषा में समझाया जाए। यही वजह है कि बोर्ड ने शिक्षण संस्थानों को सलाह दी है कि शुरुआती कक्षाओं में मातृभाषा को पढ़ाई का माध्यम बनाया जाए।
नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की सिफारिशों को लागू करने की दिशा में यह एक बड़ा और व्यावहारिक कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मातृभाषा में पढ़ाई से बच्चों की जड़ों को मजबूती मिलेगी, उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे जटिल विषयों को भी आसानी से समझ पाएंगे।
CBSE की इस पहल से उम्मीद है कि शिक्षा सिर्फ अंक लाने का साधन नहीं, बल्कि वास्तविक समझ और सोचने की क्षमता को विकसित करने का माध्यम बनेगी।