CG NEWS : रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक सामने आए तीन बड़े घोटालों—शराब, कोयला और धान कस्टम मिलिंग—में एक ही सिंडिकेट की परतें उजागर होती जा रही हैं। राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुए इन घोटालों में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और होटल कारोबारी अनवर ढेबर की भूमिका प्रमुख बताई जा रही है। बुधवार को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने कस्टम मिलिंग घोटाले के मामले में दोनों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर लिया है। एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये घोटाले एक सुव्यवस्थित नेटवर्क के जरिए अंजाम दिए गए, जिसमें नौकरशाहों, नेताओं, कारोबारी और सहकारी संस्थाओं की संलिप्तता पाई गई है।
तीन घोटाले, एक ही जड़
घोटाला | अनुमानित राशि |
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शराब घोटाला | ₹3,200 करोड़ |
कोयला परिवहन घोटाला | ₹500 करोड़ |
धान कस्टम मिलिंग | ₹140 करोड़ (अभी तक) |
कुल अनुमानित भ्रष्टाचार: ₹3,840 करोड़ से अधिक
सूत्रधार की भूमिका में टुटेजा
सूत्रों के अनुसार, अनिल टुटेजा ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में “सिस्टम के भीतर से सिस्टम चलाने” का मॉडल विकसित किया था। EOW का दावा है कि धान कस्टम मिलिंग घोटाले में उन्होंने ही साजिश रची और अपने विश्वसनीय अफसरों, नेताओं और कारोबारियों के माध्यम से वसूली चेन तैयार की।
जांच में सामने आया है कि विभिन्न जिलों से राइस मिलरों से वसूली की गई रकम को पहले रोशन चंद्राकर एकत्र करते थे, फिर यह राशि सिद्धार्थ सिंघानिया के माध्यम से अनवर ढेबर और अंततः अनिल टुटेजा तक पहुंचती थी। उसके बाद कमीशन की बंदरबांट तय रणनीति के तहत होती थी।
कांग्रेस कोषाध्यक्ष भी लपेटे में
इस पूरे घोटाला सिंडिकेट में कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल का नाम भी सामने आया है, जो पिछले तीन वर्षों से फरार हैं। माना जा रहा है कि घोटाले की काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा राजनीतिक चंदे और चुनावी फंडिंग के नाम पर आगे बढ़ाया गया।
जांच एजेंसियों के रडार पर ये रसूखदार
अब तक की जांच के आधार पर, EOW और ED की नजर अब निम्नलिखित रसूखदारों पर है:
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कैलाश रूंगटा – अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राइस मिल एसोसिएशन
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रोशन चंद्राकर – कोषाध्यक्ष, राइस मिल एसोसिएशन (जेल में)
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रामगोपाल अग्रवाल – प्रदेश कांग्रेस कोषाध्यक्ष (फरार)
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सिद्धार्थ सिंघानिया – कथित वसूली एजेंट
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मनोज सोनी – पूर्व एमडी, मार्कफेड (अभी जमानत पर)
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मार्कफेड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी
घोटाले की राशि और बढ़ने की आशंका
EOW और ED की जांच रिपोर्ट में फिलहाल धान कस्टम मिलिंग घोटाले की राशि ₹140 करोड़ बताई गई है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि असली आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा हो सकता है।
जांच एजेंसियों को घोटाले से संबंधित नई फाइलें, लेन-देन के डिजिटल साक्ष्य, और चावल मिलर्स के साथ हुए गैरकानूनी करार प्राप्त हुए हैं, जिनका विश्लेषण जारी है।
घोटालों पर शिकंजा CG NEWS
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा गर्म है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने इन घोटालों पर शिकंजा कसकर पूर्ववर्ती सरकार की कार्यप्रणाली को बेनकाब करने का बड़ा कदम उठाया है। वहीं कांग्रेस ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया है और जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। EOW द्वारा की जा रही पूछताछ और लगातार हो रही गिरफ्तारियों से संकेत मिल रहा है कि छत्तीसगढ़ में वर्षों से चल रहा भ्रष्टाचार का यह तंत्र अब ढहने की कगार पर है।
यदि जांच पारदर्शिता और निष्पक्षता से पूरी की जाती है, तो यह छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक इतिहास का सबसे बड़ा सफाई अभियान बन सकता है।