रायपुर, 30 अप्रैल। Akshaya Tritiya 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार, आज वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, जिसे अक्षय तृतीया, अक्ति या आखा तीज के नाम से जाना जाता है, पूरे भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है। यह तिथि सनातन धर्म में अत्यंत शुभ और अबाध फल देने वाली मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य ‘अक्षय’ अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला पुण्य प्रदान करता है।
इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, वाहन, भूमि और अन्य वस्तुओं की खरीदारी को बेहद शुभ माना जाता है। लोग नए कार्यों की शुरुआत, गृह प्रवेश और व्यावसायिक उपक्रम भी आज ही के दिन करते हैं, और इसके लिए किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती।
छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया का विशेष सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है। यहाँ की परंपरा के अनुसार, ‘गुड्डी-गुड़िया’ विवाह का आयोजन किया जाता है, जो बच्चों को पारंपरिक विवाह संस्कारों से परिचित कराने की एक रोचक और सांकेतिक परंपरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आयोजन खास आकर्षण का केंद्र होता है।
धार्मिक दृष्टिकोण से यह दिन भगवान परशुराम की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भक्तगण व्रत, पूजा और दान-पुण्य के माध्यम से इस तिथि को विशेष रूप से फलदायी बनाने का प्रयास करते हैं।
पंडितों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन दान, स्नान, हवन, जप और पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन दान में जल से भरे घड़े, चावल, सत्तू, आम, छाता और वस्त्र देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।