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UPSC Result 2025 : झारखंड दुमका के सौरभ सिन्हा ने यूपीएससी में लहराया परचम…..

रांची। UPSC Result : झारखंड की प्रतिभा एक बार फिर से पूरे देश में चमकी है, और इस बार यह सफलता मिली है दुमका के सौरभ सिन्हा को, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 49वीं रैंक प्राप्त की है। सौरभ ने इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार कड़ी मेहनत की और अपने चौथे प्रयास में यह उपलब्धि हासिल की।

UPSC Result : सौरभ सिन्हा का यह सफर आसान नहीं था। वह पहले भी 2021 और 2022 में इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन सफलता हासिल नहीं कर पाए थे। हालांकि, निराश होकर 2023 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में भाग नहीं लिया, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत को दोबारा से परखा। उनकी संचलित मेहनत और समर्पण ने आखिरकार उन्हें इस सफलता तक पहुंचाया।

सौरभ की कठिनाईयों और संघर्ष की कहानी
दुमका के एक सामान्य से परिवार में जन्मे सौरभ के माता-पिता के पास किसी प्रकार की कोई विशेष संपत्ति या संसाधन नहीं थे। उनके पिता दुमका कचहरी में कार्यरत हैं और उनकी मां एक गृहणी हैं। फिर भी, सौरभ ने इस साधारण जीवन के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन परिश्रम किया। वह खुद कहते हैं कि “मेरे परिवार ने हमेशा मुझे समर्थन दिया, और मेरी सफलता में उनका हाथ है।”

सौरभ का परिवार दुमका के रेलवे स्टेशन रोड स्थित एक छोटे से मकान में रहता है। इस सफलता से उनके परिवार में एक जश्न का माहौल है, और सभी एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे हैं। यह सौरभ सिन्हा की मेहनत और उनके परिवार के समर्थन का ही परिणाम है कि वह इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

UPSC Result 2025 :

सौरभ सिन्हा का पेशेवर सफर और संघर्ष
सौरभ सिन्हा वर्तमान में लखनऊ स्थित आईआईटी के कोचिंग सेंटर में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कोचिंग में छात्रों को मार्गदर्शन देना शुरू किया। हालांकि, वह हमेशा से सिविल सेवा की ओर अग्रसर थे, और अपनी मेहनत के बल पर अब उन्होंने इस परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त की है।

सौरभ सिन्हा की सफलता के पीछे का कारण:
सौरभ की सफलता ने यह साबित किया है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। वह कहते हैं, “मैंने कभी भी हार मानने की कोशिश नहीं की, हर बार एक नई उम्मीद के साथ अपनी रणनीति पर काम किया और अब सफलता मिली है।” उनके माता-पिता और उनके शिक्षक भी उनके इस अदम्य साहस और कठिन परिश्रम पर गर्व महसूस कर रहे हैं। सौरभ की सफलता झारखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, अगर मेहनत और समर्पण के साथ उस दिशा में कदम बढ़ाए जाएं।

संवाददाता – मनीषा सिन्हा की रिपोर्ट: बने रहिये nishaanebaz.com के साथ।

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