जम्मू-कश्मीर | दक्षिण कश्मीर की शांत और सुरम्य वादियों में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब आतंकवादियों ने मंगलवार दोपहर पर्यटकों को निशाना बनाते हुए अंधाधुंध गोलियां चलाईं। यह खौफनाक हमला हुआ है पहलगाम के पास स्थित मशहूर बायसरन घाटी में, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है।
कब और कहाँ हुआ हमला?
दिनांक: मंगलवार, 22 अप्रैल 2025
समय: लगभग दोपहर 3 बजे
स्थान: बायसरन घाटी, पहलगाम (जम्मू-कश्मीर)
बायसरन घाटी श्रीनगर से करीब 90 किलोमीटर और पहलगाम से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित है। यह स्थान ट्रैकिंग और पिकनिक के लिए प्रसिद्ध है। यहां तक पहुंचने के लिए पर्यटक या तो पैदल चलते हैं या फिर खच्चरों का सहारा लेते हैं।
इस आतंकी हमले की टाइमिंग भी उतनी ही अहम है जितना कि इसका स्थान। हमला उस वक्त किया गया जब देश और दुनिया की नजरें भारत पर टिकी थीं। महज दो महीने बाद शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियां चल रही हैं, जो दक्षिण कश्मीर से होकर गुजरती है और हर साल लाखों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं। इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब दौरे पर थे, और भारत की कूटनीतिक व्यस्तताएं चरम पर थीं। साथ ही, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस इस समय भारत के आधिकारिक दौरे पर हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हमले की गूंज को और अधिक संवेदनशील बनाता है।
यह पैटर्न कुछ हद तक वैसा ही प्रतीत होता है जैसा कि मार्च 2000 में देखा गया था, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत आगमन के समय छत्तीसिंहपुरा गांव में आतंकियों ने 35 सिखों की निर्मम हत्या कर दी थी। ऐसे समय पर हमला करना आतंकियों की उस रणनीति को दर्शाता है जिसमें वे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और कूटनीतिक संबंधों को चोट पहुंचाने के इरादे से घात लगाकर वार करते हैं।
दोपहर करीब तीन बजे, सेना की वर्दी में पांच आतंकी देवदार के घने जंगलों से घाटी में दाखिल हुए। उन्होंने खुद को सुरक्षाबल का सदस्य बताकर पर्यटकों से पहचान पत्र मांगे। जानकारी के मुताबिक, जैसे ही आतंकियों को पर्यटकों का धर्म पता चला, उन्होंने हिंदू और विदेशी पर्यटकों पर गोलीबारी शुरू कर दी।
घटनास्थल पर मौजूद लोग पिकनिक मना रहे थे, ट्रैकिंग कर रहे थे या आसपास के खानपान स्टॉल्स पर थे। अचानक हुई इस गोलीबारी से अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागे, कुछ पेड़ों के पीछे छिपे, जबकि कुछ नीचे गिर पड़े। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों की गोलीबारी में कई लोग घायल हुए और कुछ की मौके पर ही मौत हो गई।
हमले के बाद का दृश्य और राहत कार्य
जैसे ही घटना की सूचना मिली, सुरक्षाबलों की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। लेकिन पहलगाम से बायसरन घाटी का रास्ता बेहद दुर्गम होने के कारण राहत कार्य में चुनौतियाँ आईं। स्थानीय टूरिस्ट गाइड और खच्चर मालिकों ने घायल लोगों को खच्चरों पर लादकर मुख्य सड़क तक लाने में मदद की।
घायलों को हेलीकॉप्टर से श्रीनगर के प्रमुख अस्पतालों में भर्ती कराया गया। सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र को घेरकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया। हालांकि, हमलावर हमले के बाद पहाड़ियों की ओर भाग निकले और अब तक उनकी कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
जिम्मेदारी और आतंकी संगठन
इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है, जो पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है। TRF का सरगना शेख सज्जाद गुल पाकिस्तान में बैठा है और कई बार भारत विरोधी गतिविधियों में उसका नाम सामने आ चुका है।पुलिस और खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आतंकवादी किश्तवाड़ और कोकरनाग के रास्ते बायसरन पहुंचे थे। यह हमला पहले से ही सुनियोजित था और घाटी में डोमिसाइल को लेकर स्थानीय लोगों को भड़काने के इरादे से अंजाम दिया गया।
भारत सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की निंदा करते हुए कहा:
“इस जघन्य कृत्य के पीछे जो भी लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प और मजबूत होगा।”
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा:
“एक भी आतंकी बख्शा नहीं जाएगा। साजिशकर्ताओं को उनकी सजा जरूर मिलेगी। मैंने खुद जम्मू-कश्मीर जाकर स्थिति का जायजा लिया है।”
राहुल गांधी ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा:
“जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने के खोखले दावों से कुछ नहीं होगा। अब ठोस कार्रवाई की जरूरत है।”
PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा:
यह हमला कश्मीरियत पर है। केंद्र सरकार को अब मान लेना चाहिए कि घाटी में हालात अब भी सामान्य नहीं हैं।
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ और पाकिस्तान की हलचल
हमला ऐसे समय हुआ है जब प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब दौरे पर थे, और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में हैं। यह स्थिति 2000 के मार्च जैसी बन गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे से ठीक पहले 35 सिखों की हत्या कर दी गई थी।
हमले के बाद सेटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि पाकिस्तानी सेना ने अपने एयरबेस की सुरक्षा बढ़ा दी है और फाइटर जेट्स को LOC के पास उड़ते देखा गया है। इससे साफ है कि पाकिस्तान को फिर से भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक का डर सता रहा है — जैसे 2016 और 2019 में देखा गया था।
निष्कर्ष: शांति पर वार, पर जवाब तय
बायसरन की घाटी, जो पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग मानी जाती है, अब खून के धब्बों से दागदार हो गई है। यह हमला भारत की एकता और अखंडता पर सीधा हमला है। सरकार ने दोषियों को सख्त सजा देने का संकल्प लिया है और देश एक बार फिर आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए एकजुट है। भारत का जवाब केवल कार्रवाई से मिलेगा — क्योंकि अब शांति की राह सिर्फ कड़ी नीति और निर्णायक कदमों से ही निकलेगी