Sports : भारतीय क्रिकेट की आत्मा माने जाने वाली रणजी ट्रॉफी का इतिहास न केवल खिलाड़ियों की प्रतिभा का गवाह रहा है, बल्कि यह टूर्नामेंट भारतीय क्रिकेट की जड़ों और परंपरा को भी समर्पित रहा है। यह वही रणजी ट्रॉफी है जहाँ से सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय मंच की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया।
शुरुआत: जब भारतीय क्रिकेट को अपनी ज़मीन मिली
रणजी ट्रॉफी की स्थापना वर्ष 1934 में हुई थी और इसका पहला संस्करण 1934–35 में खेला गया था। इस प्रतियोगिता का नाम भारतीय क्रिकेट के पहले अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी कुमार श्री रणजीतसिंहजी के नाम पर रखा गया, जिन्होंने इंग्लैंड की ओर से टेस्ट क्रिकेट खेला था।
टूर्नामेंट की पहली चैंपियन टीम बॉम्बे (अब मुंबई) थी, जिसने नॉर्थ इंडिया को हराकर ट्रॉफी अपने नाम की। इसके बाद मुंबई ने इस प्रतियोगिता पर दशकों तक अपना वर्चस्व कायम रखा।
रणजी ट्रॉफी का प्रारूप: क्षेत्रीय से लेकर समग्र तक
शुरुआत में यह टूर्नामेंट नॉकआउट आधार पर खेला जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें बदलाव होते रहे। अब इसे ग्रुप स्टेज और नॉकआउट के मिश्रण के साथ आयोजित किया जाता है। इसमें देशभर के लगभग 38 घरेलू टीम्स भाग लेती हैं, जिनमें राज्य, संघ शासित प्रदेश और रेलवे/सेवा जैसी संस्थागत टीमें शामिल होती हैं।
बॉम्बे (मुंबई): सबसे सफल टीम
रणजी ट्रॉफी की सबसे सफल टीम मुंबई रही है, जिसने अब तक 41 बार खिताब जीता है। मुंबई की टीम ने 1958 से 1973 तक लगातार 15 बार ट्रॉफी जीतकर इतिहास रचा, जो आज भी एक रिकॉर्ड है।
प्रसिद्ध रिकॉर्ड और ऐतिहासिक पल
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बापू नाडकर्णी ने रणजी में शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन किया और टेस्ट टीम में जगह बनाई।
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वसीम जाफर रणजी ट्रॉफी के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं।
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अशोक मांकड़, दिलीप वेंगसरकर, अजिंक्य रहाणे जैसे खिलाड़ियों ने रणजी में चमक बिखेरने के बाद भारतीय टीम में जगह बनाई।
रणजी ट्रॉफी का योगदान भारतीय क्रिकेट को
भारतीय टीम की रीढ़ बन चुके कई खिलाड़ी इसी टूर्नामेंट से निकले हैं। 2000 के दशक में एम.एस. धोनी ने झारखंड की ओर से रणजी खेलते हुए खुद को साबित किया और फिर भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक बने।
वर्तमान में भी रणजी ट्रॉफी युवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है, जहाँ से चयनकर्ता टेस्ट, वनडे और टी-20 टीमों के लिए खिलाड़ियों को चुनते हैं।
2024-25 सीज़न: नई उम्मीदें, नई ऊर्जा
रणजी ट्रॉफी 2024-25 सीज़न ने एक बार फिर युवा खिलाड़ियों को खुद को साबित करने का मंच दिया है। दिल्ली, सौराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक और विदर्भ जैसी टीमें दमदार प्रदर्शन कर रही हैं। घरेलू क्रिकेट में वापसी कर रहे अनुभवी खिलाड़ियों की मौजूदगी से टूर्नामेंट और भी रोचक हो गया है।
समाप्ति की ओर: भविष्य की नींव है रणजी ट्रॉफी
जब क्रिकेट के ग्लैमर और टी-20 के दौर में खिलाड़ी तेज़ शोहरत की ओर भागते हैं, तब रणजी ट्रॉफी आज भी संघर्ष, अनुशासन और तकनीकी मजबूती का प्रतीक बनी हुई है। यही वह टूर्नामेंट है जो क्रिकेटरों को जमीन से उठाकर सितारों तक पहुंचाता है।
भारतीय क्रिकेट की आत्मा को समझना है, तो रणजी ट्रॉफी को समझना ज़रूरी है।