Monday, July 21, 2025
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Operation Privacy : नक्सली ऑपरेशनों पर ‘साइबर सील’-छत्तीसगढ़ में जवानों के सोशल मीडिया अकाउंट बंद!

Operation Privacy : रायपुर। माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे ऑपरेशनों की रणनीतिक गोपनीयता (Strategic Secrecy) को बनाए रखने के लिए छत्तीसगढ़ में सुरक्षा एजेंसियों ने एक अभूतपूर्व और सख्त कदम उठाया है। अब बस्तर संभाग के सातों जिलों में तैनात सुरक्षाबलों को सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रहने का आदेश दिया गया है। इस निर्णय के तहत, जवानों के सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को डिलीट करा दिया गया है और ऑपरेशन के दौरान मोबाइल के उपयोग पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।

यह सख्त साइबर नीति (Cyber Policy) हाल ही में हुए ऑपरेशनों के दौरान सोशल मीडिया पर संवेदनशील जानकारियां लीक होने की गंभीर घटनाओं के बाद लागू की गई है। अधिकारियों का मानना है कि इससे जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता को बल मिलेगा।

सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पूर्ण प्रतिबंध

जानकारी के अनुसार, बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव, कांकेर और बस्तर जैसे सभी सात माओवादी प्रभावित जिलों में तैनात जिला रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के जवानों के सभी इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स – जिनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब शामिल हैं – को डिलीट करा दिया गया है। जवानों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे इन प्लेटफार्मों से दूरी बनाए रखें और भविष्य में किसी भी ऑपरेशनल जानकारी को साझा न करें।

क्यों लिया गया यह सख्त कदम?

इस निर्णय के पीछे मुख्य वजह पिछले दिनों हुए ऑपरेशनों से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों का इंटरनेट मीडिया के ज़रिए लीक होना बताया जा रहा है। हाल ही में, माओवादी कमांडर बसव राजू के मारे जाने के बाद जवानों द्वारा पोस्ट किए गए ऑपरेशनल वीडियो लाखों में व्यूज बटोर रहे थे। इन वीडियोज़ में हथियारों का प्रदर्शन, जंगल के रास्ते, मुठभेड़ स्थल और यहां तक कि घायल या मारे गए माओवादियों की तस्वीरें भी शामिल थीं। ऐसी जानकारियों के सार्वजनिक होने से न केवल मिशन की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा था, बल्कि जवानों की जान को भी जोखिम था।

ऑपरेशन में मोबाइल उपयोग सीमित, काउंसलिंग भी जारी

नए निर्देशों के अनुसार, ऑपरेशन के दौरान मोबाइल के उपयोग को भी बेहद सीमित कर दिया गया है। जवान केवल आपातकालीन स्थितियों या आधिकारिक संपर्क के लिए ही फोन का प्रयोग कर सकेंगे। ऑपरेशन से संबंधित वीडियो बनाना, फोटो लेना और किसी भी तरह की रिकॉर्डिंग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। इसके अलावा, ऑपरेशन समाप्त होने के बाद जवानों के मोबाइल की अनिवार्य रूप से जांच भी की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई जानकारी लीक न हुई हो।

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जवानों को साइबर सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर विशेष काउंसलिंग भी दी जा रही है। इसका उद्देश्य यह है कि जवान अनजाने में भी कोई संवेदनशील जानकारी साझा न करें। यह कदम माओवादी विरोधी अभियानों की सफलता सुनिश्चित करने और जवानों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में एक निर्णायक निर्णय माना जा रहा है।

(उल्लेखनीय: हाल ही में, नारायणपुर में 37 लाख रुपये के इनामी 22 नक्सलियों, जिनमें 8 महिलाएं भी शामिल थीं, ने आत्मसमर्पण किया है, जो इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों की लगातार बढ़ रही सफलता को दर्शाता है। यह कदम नक्सलवाद को कमजोर करने के प्रयासों को और मजबूत करेगा।)

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