NREGA SCAM : देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने सरकारी योजनाओं की ज़मीनी हकीकत को उजागर कर दिया है। मनरेगा योजना के तहत लखनचंद गांव में मुर्दे, बाहर नौकरी कर रहे लोग और दिव्यांग भी कागज़ों में मजदूर बनकर सड़क पर मिट्टी डालते पाए गए हैं।
ये मामला इतना हैरान करने वाला है कि जिसने भी सुना, दंग रह गया।
- मृतक को बनाया मजदूर, दिव्यांग से करवाया श्रम!
- गांव के निवासी जवाहर, जिनकी मौत 3 साल पहले हो चुकी है, सरकारी दस्तावेजों में अब भी मिट्टी ढो रहे हैं। वहीं श्रीनिवास, रामलखन और रामेश्वर, जो गुजरात और बिहार में प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं, कागजों में मनरेगा मजदूर बनकर गांव में सड़क बना रहे हैं। इतना ही नहीं, गांव के निवासी जयराम, जो पूरी तरह दिव्यांग हैं, उनका भी नाम मजदूरी लिस्ट में दर्ज है। सरकारी पैसा सीधे इन सभी के खातों में ट्रांसफर किया गया।
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खुलासे के बाद प्रशासन में हड़कंप
इस पूरे मामले की शिकायत प्रियांशु पटेल नामक युवक ने की थी। जब उन्होंने बैतालपुर ब्लॉक के अधिकारियों को सबूतों के साथ भ्रष्टाचार की जानकारी दी तो जांच हुई। और हैरानी की बात – जांच में आरोप पूरी तरह से सही पाए गए। CDO प्रत्यूष पांडे ने बताया, “हमने पूरे मामले की जांच कराई है। TA और संबंधित सचिव के खिलाफ रिकवरी के आदेश जारी किए गए हैं।” वहीं घोटाले में शामिल मजदूरी को श्रमदान घोषित कर दिया गया है, यानी अब सरकार उस पैसे को कानूनी तौर पर वापस लेगी।
क्या है मनरेगा?
मनरेगा यानी “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” – एक ऐसी योजना है जिसमें हर ग्रामीण परिवार को 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी है। लेकिन जब मुर्दे, दिव्यांग और परदेशी ही मजदूर बन जाएं, तो योजना का अर्थ क्या रह जाता है?
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सवालों के घेरे में प्रशासन
यह घोटाला सिर्फ एक गांव तक सीमित नहीं हो सकता। सवाल उठता है – क्या ऐसे फर्जीवाड़े और जगह भी हो रहे हैं? क्या अधिकारी भी मिलीभगत में हैं? शिकायतकर्ता प्रियांशु पटेल का कहना है, “यह तो एक गांव की कहानी है, अगर जांच सही तरीके से हो तो जिले भर में ऐसे सैकड़ों नाम सामने आएंगे।”