International diplomacy India Yemen : नई दिल्ली | भारतीय नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन की जेल में हत्या के आरोप में सज़ायाफ्ता हैं, को आज बड़ी राहत मिली है। यमन की स्थानीय अदालत ने 16 जुलाई को निर्धारित उनकी फांसी की सज़ा को स्थगित कर दिया है। यह फैसला उस समय आया जब ब्लड मनी (मुआवज़ा) को लेकर पीड़ित और आरोपी पक्ष के बीच अंतिम समझौता नहीं हो सका।
भारत के प्रयास रंग लाए, कोर्ट ने फांसी रोकी
भारत सरकार और सामाजिक संगठनों के लगातार मानवीय और कूटनीतिक प्रयासों के बीच यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यमन प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जब तक दोनों पक्षों के बीच समझौता नहीं हो जाता, तब तक फांसी की कार्रवाई को टाल दिया गया है।
भारत सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “जब तक बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती, तब तक फांसी नहीं दी जाएगी।”
ग्रांड मुफ्ती के प्रयासों से उम्मीदें बढ़ीं
भारत से यमन पहुंचे ग्रांड मुफ्ती अबूबकर अहमद ने यमन में पीड़ित परिवार से बातचीत शुरू की है। सूत्रों के अनुसार, पहले दौर की बातचीत सकारात्मक रही, जिससे अंतिम समझौते की संभावनाएं बनी हुई हैं। इस धार्मिक मध्यस्थता को मानवीय आधार पर एक बड़ी पहल माना जा रहा है।
क्या है ब्लड मनी?
ब्लड मनी (Diyya), शरिया कानून के अंतर्गत एक व्यवस्था है, जिसके अनुसार हत्या जैसे मामलों में मृतक के परिवार को मुआवज़ा दिया जा सकता है। यदि पीड़ित परिवार यह मुआवज़ा स्वीकार करता है, तो आरोपी की फांसी टाली या रद्द की जा सकती है। हालांकि, यह पूरी प्रक्रिया कानूनी, धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं से प्रभावित होती है।
अब तक की प्रक्रिया
- 2021 में निमिषा प्रिया को यमन में एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था।
- 2024 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में यथासंभव मदद करने का निर्देश दिया था।
- इसके बाद ब्लड मनी जुटाने के लिए क्राउडफंडिंग और सामाजिक पहल शुरू हुई।
- अब ग्रांड मुफ्ती की मध्यस्थता से फांसी को रोकने में सफलता मिली है।