इंदौर। Indore News : मध्यप्रदेश के इंदौर की एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका कुमारी चंद्रकांता जेठानी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। उनकी पीड़ा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक भी है, मगर इसके बावजूद वे व्हीलचेयर पर बैठकर रोज 7-8 घंटे तक बच्चों को पढ़ाने जाती हैं और समाज के लिए एक जिंदा प्रेरणा बनी हुई हैं।
Indore News : दरअसल, वर्ष 2020 में एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर सौरभ गुप्ता के गलत इलाज ने चंद्रकांता की पूरी जिंदगी बदल दी। चिकित्सकीय लापरवाही के चलते उनके शरीर का निचला हिस्सा पैरालाइज हो गया। इस हादसे के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और व्हीलचेयर के सहारे अपने कर्तव्यों को निभाने का प्रण लिया।
अपने जीवन की पूंजी भी दान कर दी
चंद्रकांता जेठानी ने न केवल अपनी पूरी संपत्ति सरकारी स्कूल के 6 जरूरतमंद बच्चों के नाम कर दी है, बल्कि अपने मृत्यु उपरांत शरीर के अंग भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज को डोनेट कर दिए हैं। उनका कहना है— “मेरे अंग जरूरतमंदों के लिए कोहिनूर हीरे से भी ज्यादा कीमती हैं। मैं मरने के बाद भी किसी की जिंदगी में उजाला बनकर जिंदा रहूंगी।
‘मैं आत्महत्या कर लूं तो बच्चों का विश्वास खत्म हो जाएगा’
चंद्रकांता ने कहा कि वे रोजाना बच्चों को पढ़ाती हैं और उन्हें हिम्मत देना सिखाती हैं। “अगर मैं खुद आत्महत्या करूंगी, तो उन बच्चों का विश्वास शिक्षकों पर से उठ जाएगा। मगर जो असहनीय पीड़ा मैं हर पल झेलती हूं, उसके चलते मैंने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है।”
शारीरिक पीड़ा, मगर हौसला अडिग
टीचर चंद्रकांता को रोजाना 7-8 घंटे व्हीलचेयर पर बंधे रहना पड़ता है। पीड़ा उनके शरीर को तोड़ती है, मगर उनका जज्बा समाज के लिए मिसाल बन गया है।
इस घटना ने एक बार फिर चिकित्सकीय लापरवाही, दिव्यांगों के प्रति संवेदनहीन सिस्टम और समाज में ऐसे योद्धाओं के संघर्ष को उजागर कर दिया है जो नायक होते हुए भी गुमनाम हैं।