Health, Lifestyle: आज के समय में तेजी से बदलती जीवनशैली और तकनीक के अत्यधिक इस्तेमाल ने बच्चों में मोटापे की समस्या को गंभीर बना दिया है। छोटे-छोटे बच्चों का वजन असामान्य रूप से बढ़ रहा है, जिससे माता-पिता की चिंता भी स्वाभाविक रूप से बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बचपन से ही बच्चों की लाइफस्टाइल को हेल्दी दिशा में मोड़ा जाए, तो ना केवल उनका वजन नियंत्रित रहेगा बल्कि वे जीवनभर फिट और एक्टिव भी रहेंगे।
मोटापा एक लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्या
बाल मनोवैज्ञानिक कहती का कहना है कि मोटापा कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह जीवनशैली से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। यदि बच्चों की दिनचर्या और खानपान सही तरीके से मेंटेन किया जाए तो मोटापा कभी पास नहीं फटकेगा।
बचपन से डालें हेल्दी और बैलेंस डाइट की आदत
बच्चों को शुरुआत से ही संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट देना जरूरी है। उनके आहार में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और पर्याप्त पानी शामिल होना चाहिए। खाने के दौरान स्क्रीन (मोबाइल/टीवी) बंद रखें ताकि बच्चा खाने पर ध्यान दे और शरीर के संकेतों को समझ सके कि कब उसका पेट भर गया है।
डिब्बाबंद और प्रोसेस्ड फूड से बच्चों को दूर रखें, क्योंकि इनमें मौजूद प्रिज़र्वेटिव्स उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं। जंक फूड और शुगर से भरपूर स्नैक्स की जगह घर पर हेल्दी विकल्प तैयार करें और बच्चों को सही-गलत की पहचान सिखाएं।
फिजिकल एक्टिविटी को दें बढ़ावा
बच्चों को मोबाइल या टीवी की बजाय खेलकूद की आदत डालें। दौड़ना, कूदना, साइक्लिंग, तैराकी जैसी गतिविधियां बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं। डॉ. सुषमा बताती हैं कि स्क्रीन टाइम को सीमित करें और बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें। इससे उनकी एनर्जी सही दिशा में खर्च होगी और मोटापा भी नियंत्रित रहेगा।
अच्छी आदतें बनाएं मजबूत नींव
बचपन से ही यदि बच्चों में सही दिनचर्या जैसे समय पर सोना, उठना, खाना, नहाना और पढ़ाई की आदतें डाली जाएं, तो उनका समग्र विकास बेहतर होगा। यदि बच्चा नई आदतों के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं देता, तो किसी चाइल्ड एक्सपर्ट की सलाह लेना भी फायदेमंद हो सकता है।
निष्कर्ष:
बच्चों में मोटापा रोकने के लिए जरूरी है कि पैरेंट्स खुद जागरूक बनें और हेल्दी आदतें बच्चों की दिनचर्या में शामिल करें। बचपन से ही संतुलित आहार, सीमित स्क्रीन टाइम और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाकर बच्चे ना केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनेंगे।