Sunday, July 20, 2025
27.5 C
Raipur

Delhi Hit-And-Run Case : नशे में धुत अमीरजादे ने रौंद डाले 5 ज़िंदगियाँ, 8 साल की बच्ची भी चपेट में – और कुछ ही समय में मिल गई जमानत!

Delhi Hit-And-Run Case : नई दिल्ली | देश की राजधानी में इंसानियत को रौंदने वाली एक घटना ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। 9 जुलाई की भोर में, दिल्ली के वसंत विहार में फुटपाथ पर सो रहे पांच गरीब प्रवासी मज़दूरों को एक तेज रफ्तार ऑडी कार ने कुचल दिया। इसमें दो दंपति और एक मासूम 8 साल की बच्ची भी शामिल थी। हादसे को अंजाम देने वाला आरोपी उत्सव शेखर, जो कि नशे में धुत था, पहले तो भागने की कोशिश करता है, लेकिन ट्रक से टकरा जाने के बाद पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि चंद घंटों में उसे थाने से ही ज़मानत मिल जाती है। अब यही सवाल लोगों के ज़हन में है – गरीब मरते रहेंगे और अमीर यूं ही छूटते रहेंगे?

कैसे हुआ हादसा…

पुलिस के मुताबिक, 1:45 AM पर एक PCR कॉल मिली कि एक सफेद ऑडी कार ने इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप के पास फुटपाथ पर सो रहे लोगों को कुचल दिया। घायलों को एम्स ले जाया गया। पीड़ितों में लधी (40), बिमला (8), सबामी (45), नारायणी (35) और रामचंदर (45) शामिल हैं। चश्मदीदों और मेडिकल रिपोर्ट्स ने पुष्टि की कि उत्सव शराब के नशे में था। उसने घायलों को देखने के बाद भागने की कोशिश की, लेकिन उसकी कार आगे जाकर एक ट्रक से टकरा गई, जिससे वह पकड़ा गया।

कानून का मज़ाक

पुलिस ने उत्सव के खिलाफ BNS की धारा 281 (लापरवाही), 125(a) (जानबूझकर खतरनाक ड्राइविंग) और मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 (नशे में वाहन चलाना) में केस दर्ज किया।
गाड़ी जब्त की गई, फोरेंसिक जांच भी शुरू हुई। लेकिन महज़ कुछ घंटों में उसे बेल मिल गई।

जमानत का मतलब न्याय नहीं

ध्यान देने वाली बात ये है कि धारा 185 जमानती अपराध की श्रेणी में आता है, और ये उत्सव का पहला अपराध माना गया। लेकिन क्या 5 लोगों को कुचलने वाले को इतनी जल्दी बेल मिल जाना न्याय का अपमान नहीं है?

कानून की कमजोर कड़ी: मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 क्या कहती है?

  • अगर रक्त में अल्कोहल की मात्रा 30mg/100ml से ज़्यादा हो, तो अपराध बनता है।
  • पहली बार पकड़े जाने पर – 6 महीने की जेल या ₹10,000 का जुर्माना।
  • दूसरी बार – 2 साल तक की जेल या ₹15,000 जुर्माना।

इस केस में भी, मेडिकल रिपोर्ट ने शराब की पुष्टि की, लेकिन उत्सव को कानून का “पहली बार वाला छूट” मिल गया।

गरीबी बनाम रईसी: सिस्टम का आईना

  • पीड़ित – फुटपाथ पर सोने वाले मजदूर, जो राजस्थान से दिल्ली काम करने आए थे।
  • आरोपी – लक्ज़री ऑडी में घूमने वाला अमीर लड़का, जो नशे में धुत होकर शहर की सड़कों पर मौत बांट रहा था।

क्या न्याय सिर्फ बैंक बैलेंस देखकर मिलता है?

सोशल मीडिया में गुस्सा फूटा

इस केस ने सोशल मीडिया पर आग लगा दी है।
लोग पूछ रहे हैं –
“अगर किसी गरीब ने किसी बड़े आदमी की कार को खरोंच भी मार दी होती, तो क्या उसे भी इतनी जल्दी जमानत मिल जाती?”

क्या होना चाहिए अब?

  1. नशे में वाहन चलाने के मामलों को गैर-जमानती बनाया जाए।
  2. कम से कम जमानत मिलने से पहले मजिस्ट्रेट की अदालत में पेशी अनिवार्य हो।
  3. फुटपाथ पर रहने वालों के लिए सुरक्षित रैन बसेरे सुनिश्चित किए जाएं।
  4. सड़क हादसों में पीड़ितों को तेज़ न्याय और मुआवज़ा देने की व्यवस्था बने।

भारत जैसे देश में, जहां एक तरफ लोग सड़क किनारे सोने को मजबूर हैं और दूसरी ओर नशे में धुत रईसजादे उन्हें कुचलते हैं — यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम का आईना है।
और यह सवाल पूछना ज़रूरी है — क्या न्याय सिर्फ अमीरों के लिए बना है?

Popular this week

Kondagaon News : केशकाल विधायक की फॉलो वाहन पलटी, ड्राइवर की मौके पर मौत…

कोंडागांव :- Kondagaon News : केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम की...

Topics

Related Articles

Popular Categories