पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने गुरुवार को अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 44 विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। इसके साथ ही जदयू ने अपने कोटे की सभी 101 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पूरी कर ली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने इस बार 13 मौजूदा विधायकों पर दोबारा भरोसा जताया है, जबकि 18 नए चेहरों को टिकट देकर संगठन में ताजगी का संदेश देने की कोशिश की है।
जदयू की दूसरी सूची की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भाजपा ने गठबंधन धर्म निभाते हुए चार सीटें जदयू को दी हैं। इनमें कहलगांव, काराकाट, जोकीहाट और एक अन्य सीट शामिल हैं। कहलगांव सीट पर भाजपा विधायक पवन यादव का टिकट काट दिया गया है और वहां से जदयू ने सदानंद सिंह के बेटे सुभानंद मुकेश को मैदान में उतारा है। रोहतास जिले की काराकाट सीट से महाबली सिंह और अररिया की जोकीहाट सीट से मंजर आलम उम्मीदवार होंगे। 2020 के विधानसभा चुनाव में ये सीटें भाजपा के खाते में थीं, लेकिन उसे जीत नहीं मिली थी।
दूसरी सूची में जदयू ने अपने 22 पुराने उम्मीदवारों को दोबारा मौका दिया है, जबकि 18 सीटों पर नए चेहरों पर भरोसा जताया है। पार्टी ने इस बार 15 मौजूदा विधायकों को फिर टिकट दिया है, जबकि एक चर्चित नाम गोपाल मंडल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। गोपाल मंडल भागलपुर जिले की गोपालपुर सीट से विधायक थे और अपने विवादित बयानों व व्यवहार के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते थे।
पार्टी ने जिन विधायकों को फिर टिकट दिया है, उनमें धीरेंद्र प्रताप सिंह (वाल्मीकिनगर), शालिनी मिश्रा (केसरिया), सुधांशु शेखर (हरलाखी), मीणा कामत (बाबूबरही), शीला मंडल (फुलपरास), अनिरुद्ध यादव (निर्मली), रामविलास कामत (पिपरा), विजेंद्र प्रसाद यादव (सुपौल), लेशी सिंह (धमदाहा), ललित नारायण मंडल (सुल्तानगंज), जयंत राज (अमरपुर), मनोज यादव (बेलहर), पंकज मिश्रा (रून्नीसैदपुर) और विजय सिंह निषाद (बरारी) प्रमुख हैं।
इस सूची में बसपा से आए जमा खान का नाम भी शामिल है। वे 2020 में बसपा के टिकट पर जीते थे और बाद में जदयू में शामिल हो गए। नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री बनाया था। वे नीतीश कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम मंत्री थे। जदयू ने इस बार भी उन पर भरोसा जताया है। 2020 में जदयू ने 10 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी जीत हासिल नहीं कर पाया था। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
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इसके अलावा, जदयू ने इस बार निर्दलीय विधायक सुमित सिंह (चकाई) और राजद के बागी चेतन आनंद (शिवहर) को भी टिकट दिया है। सुमित सिंह ने 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी, जबकि चेतन आनंद, जो माफिया डॉन रहे आनंद मोहन और जदयू सांसद लवली आनंद के बेटे हैं, 2020 में राजद के टिकट पर जीते थे। बाद में उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी थी और अब जदयू ने उन्हें अपने पाले में शामिल कर लिया है।
कुल मिलाकर, जदयू की दूसरी सूची में पुराने अनुभव, नए चेहरे और सामाजिक संतुलन का मिश्रण देखने को मिलता है। नीतीश कुमार ने इस लिस्ट के जरिए न केवल संगठनात्मक मजबूती का संदेश दिया है बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि पार्टी एनडीए गठबंधन में रहते हुए भी अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखना चाहती है। जदयू की यह सूची बिहार की सियासत में नए समीकरणों की आहट दे रही है।








