Babydoll_archi Viral Fame : नई दिल्ली | पिछले कुछ हफ्तों में Babydoll Archi नामक इंस्टाग्राम अकाउंट ने भारतीय सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया। साड़ी पहने एक महिला का स्पैनिश गाने पर लिप-सिंक करता वीडियो वायरल हुआ और जल्द ही उसका फॉलोअर्स ग्राफ 14 लाख के पार पहुंच गया। लेकिन सच्चाई जब सामने आई तो इंटरनेट के परदे के पीछे की भयावहता उजागर हो गई — Babydoll Archi असल में एक AI द्वारा बनाई गई फेक पर्सनैलिटी थी।
असम की महिला की पहचान का दुरुपयोग
Babydoll Archi का अकाउंट असम के डिब्रूगढ़ की एक विवाहित महिला की तस्वीर से बनाया गया था। यह महिला अचानक डिजिटल उत्पीड़न, झूठी अफवाहों और मानसिक आघात की शिकार बन गई। सोशल मीडिया पर उसे एक अडल्ट स्टार समझा जाने लगा — जबकि वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसकी छवि के साथ इंटरनेट पर क्या हो रहा है।

एक इंजीनियर की शातिर साजिश
पुलिस जांच में सामने आया कि तिनसुकिया (असम) का रहने वाला एक मैकेनिकल इंजीनियर प्रतिम बोरा, जिसने हरियाणा में पढ़ाई की और दिल्ली की कंपनी में काम करता था, इस सब के पीछे था। उसने महज एक तस्वीर से AI और मॉर्फिंग टूल्स की मदद से Babydoll Archi की पूरी पहचान तैयार की।
- अकाउंट अगस्त 2020 में बनाया गया था
- नाम दो बार बदला गया, अब ‘Amira Ishtara’
- इंस्टाग्राम, Linktree और अन्य माध्यमों से ₹10 लाख से ज्यादा की कमाई
- वायरल रील्स और ‘Actual Fans’ नामक सब्सक्रिप्शन पेज पर अश्लील AI कंटेंट की बिक्री
डिब्रूगढ़ पुलिस ने आरोपी के पास से SIM कार्ड्स, लैपटॉप, टैबलेट, डेबिट कार्ड्स और AI सॉफ़्टवेयर जब्त किए हैं।
पोर्न नहीं, असल मुद्दा है डिजिटल अपराध और समाज की चुप्पी
इस मामले ने भारत में पोर्न, AI और इंटरनेट पर महिलाओं की छवि के दुरुपयोग की एक बेहद गंभीर सच्चाई को उजागर किया है। IPS सिज़ल अग्रवाल के अनुसार, “यह उत्पीड़न से शुरू होकर अब एक मुनाफे वाला धंधा बन गया था।”

भारत में पोर्न की समस्या: तकनीक ने सब कुछ बदल दिया
साइकोलॉजिस्ट श्रेया कौल के अनुसार, भारत में सेक्स को लेकर विचारधारा बहुत ही उलझी हुई है। “यह वर्जित है, लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा आकर्षण पैदा करता है। क्योंकि जिस चीज़ पर रोक होती है, वही सबसे ज़्यादा खींचती है।” भारत में इंटरनेट पोर्न शिक्षा के अभाव, जेंडर बायस, और संस्कृति से जुड़ी शर्म के कारण तेज़ी से बढ़ता नशा बन चुका है।
- 89% पोर्न दर्शक मोबाइल पर इसे देखते हैं
- रिवेंज पोर्न, डीपफेक्स और AI-जनित अश्लीलता दिन-ब-दिन बढ़ रही है
- महिलाओं को सोशल मीडिया पर असहमति के कारण “वेश्या”, “स्लट”, “चरित्रहीन” जैसे शब्दों से निशाना बनाया जाता है
इंटरनेट की असली ज़िम्मेदारी
Babydoll Archi के मामले ने दिखाया कि किस तरह सिर्फ एक क्लिक से किसी की असल ज़िंदगी नर्क बन सकती है। IPS अग्रवाल ने कहा,“हमें इंटरनेट पर कोई भी कंटेंट देखने से पहले जांच करनी चाहिए कि क्या वह असली है या फेक।”