Health Care : आधुनिक बाजारों में खरीदारी के दौरान फल-सब्जियों को पॉलीथीन में पैक करना आम हो चला है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सुविधा आपकी सेहत और पर्यावरण – दोनों पर भारी पड़ सकती है? विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलीथीन का उपयोग न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी गंभीर असर पड़ता है।
पॉलीथीन में मौजूद खतरनाक रसायनों की पहचान :
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि पॉलीथीन में बीपीए (Bisphenol A) और थैलेट्स जैसे रसायन पाए जाते हैं। जब फल या सब्जियां लंबे समय तक पॉलीथीन में बंद रहती हैं, तो ये रसायन उनमें प्रवेश कर सकते हैं। यह समस्या खासतौर पर गर्म मौसम में और भी गंभीर हो जाती है, जब तापमान के कारण पॉलीथीन से रसायन निकलने लगते हैं।
इन रसायनों के कारण हार्मोनल असंतुलन, कैंसर, और प्रजनन क्षमता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ताजगी पर भी असर :
विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि पॉलीथीन हवा के आवागमन को रोकता है। फल-सब्जियों में नमी बनी रहती है, जिससे वे जल्दी सड़ने लगते हैं। फलस्वरूप, न केवल पोषण घटता है, बल्कि भोजन की बर्बादी भी होती है।
पर्यावरण को नुकसान :
पॉलीथीन एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है। यानी यह मिट्टी में आसानी से नहीं घुलता। यह कई सालों तक पर्यावरण में बना रहता है और मिट्टी, जल स्रोतों और वन्यजीवों के लिए खतरा बन जाता है। आए दिन सामने आती घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि जानवर पॉलीथीन खाकर बीमार हो जाते हैं या उनकी मौत हो जाती है।
फल-सब्जियों को ताजा रखने के ये हैं बेहतर विकल्प:
कपड़े के थैले या पेपर बैग का इस्तेमाल करें
ये न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं, बल्कि हवा के आवागमन से फल-सब्जियों को ताजा भी रखते हैं।
एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें:
फल-सब्जियों को प्लास्टिक से दूर रखते हुए आप उन्हें अच्छे क्वालिटी के एयरटाइट कंटेनर में रख सकते हैं।
धोकर और सुखाकर फ्रिज में रखें:
मिट्टी, कीटनाशक और गंदगी से भरे फलों को धोकर रखने से उनकी ताजगी बनी रहती है और बैक्टीरिया से भी बचाव होता है।
सावधानी के कुछ और ज़रूरी टिप्स:
सब्जियों और फलों को फ्रिज में ज़्यादा समय तक ना रखें।
खरीदते समय यह सुनिश्चित करें कि उत्पाद ताजे हों।
खाना पकाने से पहले सभी फलों-सब्जियों को अच्छी तरह धोना न भूलें।
पॉलीथीन की आदत ने हमारी ज़िंदगी को आसान तो ज़रूर बनाया है, लेकिन इसके असर को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। खासकर जब यह सेहत और पर्यावरण दोनों से जुड़ा मामला हो। ज़रूरत है, जागरूकता की — ताकि हम छोटे बदलावों से भी बड़ी हानियों से खुद को और आने वाली पीढ़ियों को बचा सकें।
इसलिए अगली बार जब बाजार जाएं, तो अपना थैला साथ ले जाना न भूलें – ये छोटी सी आदत बड़ा बदलाव ला सकती है।