नई दिल्ली। 8th Pay Commission : सरकारी कर्मचारियों की नजर अब 8वें वेतन आयोग पर टिकी है, लेकिन इस बार सैलरी से ज्यादा चर्चा पेंशन की टेंशन को लेकर है। करीब 45 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 68 लाख पेंशनर्स इस आयोग की सिफारिशों से सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। कर्मचारी संगठनों ने अपनी ‘विश लिस्ट’ सरकार को सौंप दी है, जिसमें कई बड़े और पुराने मुद्दों को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
8th Pay Commission : सबसे अहम मांग पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की है। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) से न तो उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिलती है और न ही रिटायरमेंट के बाद सम्मानजनक जीवन। इसके अलावा कर्मचारियों ने कैशलेस मेडिकल सुविधा, बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता, जोखिम भत्ते में बढ़ोतरी, और MACP (Modified Assured Career Progression) के नियमों में संशोधन की भी मांग की है।
इसके साथ ही न्यूनतम वेतन के निर्धारण में नए मानकों की बात भी की गई है। कर्मचारियों का कहना है कि मौजूदा महंगाई को देखते हुए वेतन संरचना में बदलाव बेहद जरूरी है।
फिलहाल केंद्र सरकार इन मांगों पर विचार कर रही है, लेकिन कोई औपचारिक घोषणा अभी नहीं की गई है। यदि इन मांगों को स्वीकार किया जाता है, तो इसका सीधा असर करोड़ों परिवारों पर पड़ेगा — खासकर उन पेंशनर्स पर, जिनकी आमदनी का एकमात्र जरिया रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन है।