ITAT : नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को मंगलवार को आयकर विवाद में बड़ा झटका लगा है। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने कांग्रेस पार्टी की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पार्टी ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 199 करोड़ रुपये की आयकर मांग को चुनौती दी थी। इस फैसले से पार्टी की वित्तीय मुश्किलें बढ़ने की आशंका है।
क्या है पूरा मामला? यह विवाद मुख्य रूप से उस आयकर छूट को लेकर था, जो कांग्रेस ने अपने 2 फरवरी 2019 को दाखिल आयकर रिटर्न (ITR) में मांगी थी। आयकर विभाग ने इस पर आपत्ति जताई थी। ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि कांग्रेस का यह दावा नियत समयसीमा के भीतर नहीं किया गया था, इसलिए पार्टी आयकर छूट की पात्र नहीं है।
ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा: “करदाता द्वारा 02.02.2019 को दाखिल किया गया रिटर्न, उसे विवादित छूट के लिए पात्र नहीं बनाता है क्योंकि यह दावा नियत तिथि के भीतर नहीं किया गया।”
नकद दान की सीमा का उल्लंघन भी बना विवाद की वजह इस मामले में एक और बड़ा पहलू था — पार्टी द्वारा नकद में प्राप्त चंदे (donation) की वैधता। आयकर विभाग ने तर्क दिया कि कांग्रेस पार्टी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए तय सीमा से अधिक नकद दान लिया है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80GGC के तहत, राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये से अधिक का नकद चंदा लेने पर छूट नहीं मिलती है। आयकर विभाग ने इसी आधार पर कांग्रेस के छूट के दावे को अयोग्य ठहराया। ट्रिब्यूनल ने भी इस तर्क को स्वीकार करते हुए कांग्रेस की अपील को खारिज कर दिया।
पार्टी के लिए कानूनी राहत के दरवाज़े सीमित इस आदेश के बाद अब कांग्रेस के पास कानूनी राहत पाने के बहुत सीमित रास्ते बचे हैं। हालांकि, पार्टी इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकती है। लेकिन जब तक उच्च न्यायालय से कोई स्थगन आदेश नहीं मिलता, तब तक 199 करोड़ रुपये की यह टैक्स देनदारी कांग्रेस के लिए बनी रहना तय है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पार्टी पहले ही वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है।
राजनीतिक असर भी संभव इस फैसले से आगामी लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की आर्थिक स्थिति और चंदा जुटाने की रणनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। पार्टी पहले ही चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पारदर्शिता और वित्तीय खुलासों को लेकर सवालों के घेरे में रही है। यह नया झटका पार्टी के लिए एक और वित्तीय और राजनीतिक संकट पैदा कर सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले से विपक्षी दलों को कांग्रेस पर हमला करने का एक और मौका मिलेगा।
संक्षेप में: कांग्रेस के लिए दोहरा झटका
- 199 करोड़ टैक्स राहत की अपील खारिज: आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने कांग्रेस की मांग को ठुकराया।
- आयकर रिटर्न देरी से दाखिल: छूट का दावा नियत तिथि के बाद किया गया, जिसे अवैध माना गया।
- नकद चंदे की सीमा का उल्लंघन: आयकर विभाग के तर्क को ट्रिब्यूनल ने माना, जो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80GGC के तहत छूट के योग्य नहीं।
- ITAT का सख्त रुख: फैसले से कांग्रेस की वित्तीय और राजनीतिक स्थिति पर गहरा असर पड़ सकता है।
- उच्च न्यायालय ही अंतिम आस: पार्टी अब इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकती है।
यह फैसला निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है और आने वाले समय में इसके वित्तीय और राजनीतिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।