Vice President : नई दिल्ली | भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने सत्ता गलियारों में सियासी सरगर्मी तेज कर दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं। लेकिन राजनीति में ऐसे इस्तीफे महज औपचारिक नहीं होते — इसके पीछे बड़ी रणनीति और भविष्य की प्लानिंग छिपी होती है।
असली गेम: बिहार चुनाव + उपराष्ट्रपति पद
संविधान के अनुच्छेद 68 के तहत अब सितंबर 2025 तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है। यानी समयबद्ध गणना शुरू हो चुकी है — और ये गणना जुड़ी है बिहार विधानसभा चुनावों से।
भाजपा के पिछले दस साल के रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो साफ दिखता है कि पार्टी संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों को कभी ‘राजनीतिक शून्यता’ में नहीं करती। हर फैसला किसी न किसी चुनावी समीकरण को ध्यान में रखकर ही होता है।
भाजपा की रणनीति : हरिवंश, नड्डा या थरूर?
- हरिवंश नारायण सिंह (राज्यसभा उपसभापति, जेडीयू) एक संभावित नाम हैं। वह बिहार से हैं, जेडीयू का प्रतिनिधित्व करते हैं और राज्यसभा की कार्यवाही का अनुभव भी रखते हैं।
- रामनाथ ठाकुर (कर्पूरी ठाकुर के पुत्र) का नाम EBC वोटरों को लुभाने की दृष्टि से उछाला गया, लेकिन भारत रत्न सम्मान के बाद उनकी उम्मीद कम हो गई है।
- जेपी नड्डा का नाम तब उभरता है जब BJP-आरएसएस समीकरण असंतुलन में हों। नड्डा का कार्यकाल मार्च 2025 में खत्म हो रहा है — उन्हें सम्मानजनक ‘एग्ज़िट’ भी मिल सकता है।
थरूर कार्ड: कांग्रेस में सेंध
शशि थरूर का नाम भी अटकलों में है। उन्होंने हाल के वर्षों में कई बार सरकार की तारीफ की है। BJP उन्हें “सर्वसम्मति” वाले चेहरे के तौर पर पेश कर सकती है ताकि विपक्ष में फूट पड़ी रहे। लेकिन थरूर जैसे खुले विचारों वाले नेता को BJP राज्यसभा का सभापति बनाए, इसमें भारी संदेह है।
सहयोगी दलों की अहमियत
BJP के पास संख्याबल है, पर सहयोगी दलों को साधे बिना यह निर्णय नहीं लिया जाएगा। TDP, JDU और शिवसेना की संतुष्टि जरूरी है — इसलिए BJP ऐसा चेहरा चाह सकती है जो “लो-प्रोफाइल, हाई-लॉयल्टी” वाला हो।