मंदसौर। Mandsaur Gang Rape Case : 2018 के बहुचर्चित मंदसौर गैंगरेप मामले में ट्रायल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोषियों इरफान और आसिफ की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। अब दोनों उम्रभर जेल में रहेंगे। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बाद आया है, जिसमें डीएनए और फॉरेंसिक साक्ष्यों की विश्वसनीयता पर सवाल उठने के कारण दोबारा ट्रायल का आदेश दिया गया था।
Mandsaur Gang Rape Case : घटना 26 जून 2018 की है, जब सात साल की बच्ची स्कूल से लौटते वक्त गायब हो गई थी। आरोप है कि इरफान और आसिफ ने उसे अगवा कर, उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और गंभीर हालत में छोड़कर फरार हो गए। बच्ची की हालत इतनी नाजुक थी कि उसे तत्काल इंदौर रेफर किया गया था।
घटना के महज 48 घंटे के भीतर पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले की मॉनिटरिंग करते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल के निर्देश दिए थे। मंदसौर कोर्ट ने 55 दिनों में ट्रायल पूरा कर फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में हाईकोर्ट और इंदौर हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा।
Mandsaur Gang Rape Case
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वैज्ञानिक साक्ष्यों पर उठे सवालों के चलते कोर्ट ने केस को रिमांड कर दोबारा सुनवाई के निर्देश दिए। नए ट्रायल में एक्सपर्ट गवाहों के बयान, आरोपियों के आचरण और अन्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने फांसी को उम्रकैद में बदल दिया।
दोषियों के वकील अनीस मंसूरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की रिमांड के बाद विशेषज्ञों के बयान दर्ज किए गए, जिसके बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।यह मामला न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश में आक्रोश और संवेदनाओं का केंद्र रहा है। अब कोर्ट के इस फैसले से एक नई कानूनी बहस शुरू हो गई है — क्या साक्ष्य आधारित अपील के बाद सज़ा में नरमी उचित है या नहीं?