Gwalior news : ग्वालियर। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी ने शुक्रवार को ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों की मैराथन बैठक लेकर सरकारी व्यवस्था की हकीकत पर सख्त रुख अपनाया। करीब 5 घंटे तक चली इस बैठक में आयुक्त ने सभी CMHO, सिविल सर्जन और जिला अस्पताल प्रमुखों से जिलेवार रिपोर्ट ली और खासतौर पर रेफरल केसों की बढ़ती संख्या और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर गहरी चिंता जताई। आयुक्त ने स्पष्ट कहा कि जिले के सरकारी अस्पतालों में इलाज की पर्याप्त व्यवस्था होते हुए भी बिना गंभीर कारण के मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर करना अस्वीकार्य है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगली समीक्षा बैठक में सुधार न दिखने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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5 महीनों में रेफर केसों का आंकड़ा (जनवरी 2025 – मई 2025)
- गायनिकोलॉजी: 1574 केस
- जनरल सर्जरी: 131 केस
- पीडियाट्रिक्स (SNCU/PICU सहित): 43 केस
- एमरजेंसी मेडिसिन: 145 केस (दतिया, शिवपुरी, श्योपुर, झांसी, निजी अस्पतालों से)
- जनरल मेडिसिन: 2103 केस
मातृ-शिशु मृत्यु दर : “सबसे बड़ी चुनौती”
आयुक्त राठी ने संभाग में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना सबसे बड़ी प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित प्रसव, नवजात ICU और मेटरनिटी यूनिट की सुविधाओं को बेहतर किया जाना जरूरी है। उन्होंने चेताया कि किसी भी जिले में इस मोर्चे पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्वास्थ्य आयुक्त ने कहा कि सरकारी अस्पतालों को मरीजों के लिए पहली और भरोसेमंद व्यवस्था बनाना होगा। उन्होंने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि मरीजों का इलाज प्राथमिक और जिला स्तर पर ही हो, ताकि मेडिकल कॉलेजों पर अनावश्यक बोझ न पड़े।
विशेष निर्देश:
- सभी CMHO को अपने जिले में रेफरल केसों की समीक्षा कर रिपोर्ट पेश करनी होगी
- हर रेफरल केस का रिकॉर्ड और कारण लिखित रूप में दर्ज किया जाए
- मातृ-शिशु ICU और एम्बुलेंस सेवा की उपलब्धता पर साप्ताहिक रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई