Monday, July 21, 2025
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Chhattisgarh High Court : मंदिर की संपत्ति पर पुजारी का कोई हक नहीं….

बिलासपुर। Chhattisgarh High Court : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और भविष्य में मिसाल बनने वाले फैसले में स्पष्ट किया है कि मंदिर की संपत्ति पर पुजारी का कोई मालिकाना हक नहीं होता। कोर्ट ने दो टूक कहा कि पुजारी केवल देवता की सेवा और पूजा-पद्धति के लिए नियुक्त प्रतिनिधि होता है, न कि मंदिर संपत्ति का स्वामी।

यह फैसला जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की एकलपीठ ने दिया। मामला धमतरी जिले के प्रसिद्ध श्री विंध्यवासिनी मां बिलाईमाता मंदिर से जुड़ा है, जहां मंदिर के पुजारी परिषद अध्यक्ष मुरली मनोहर शर्मा ने मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति पर अधिकार जताते हुए अपना नाम ट्रस्ट रिकॉर्ड में दर्ज कराने की मांग की थी।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

मुरली मनोहर शर्मा ने तहसीलदार के समक्ष आवेदन दिया था कि उनका नाम मंदिर ट्रस्ट के भूमि रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। तहसीलदार ने आदेश उनके पक्ष में दे दिया, लेकिन यह आदेश SDO और अपर आयुक्त ने रद्द कर दिया। इसके बाद शर्मा ने राजस्व मंडल में पुनरीक्षण याचिका लगाई, जो 2015 में खारिज हो गई। शर्मा ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

Chhattisgarh High Court

कोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मंदिर की विधिवत पंजीकृत ट्रस्ट समिति ही संपत्ति की वास्तविक प्रशासक होती है। कोर्ट ने 1989 के एक पुराने सिविल जज के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पुजारी ट्रस्ट द्वारा नियुक्त “ग्राही” होता है, जो केवल पूजा और धार्मिक कार्यों की सेवा करता है, संपत्ति पर उसका कोई अधिकार नहीं होता।

फैसले का महत्व

यह निर्णय उन अनेक मामलों के लिए मार्गदर्शक साबित होगा, जहां मंदिर की संपत्ति को लेकर पुजारियों और ट्रस्ट समितियों के बीच विवाद होते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि धार्मिक सेवा करना और संपत्ति का स्वामित्व रखना दो अलग चीजें हैं।

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