बिलासपुर। छत्तीसगढ़ भारतमाला मुआवजा घोटाला : छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित भारतमाला परियोजना के मुआवजा घोटाले में फंसे चार आरोपियों — हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और केदार तिवारी — को बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने सभी को नियमित जमानत दे दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह कोई अंतरिम राहत नहीं, बल्कि कानूनी अधिकारों के तहत दी गई जमानत है।
छत्तीसगढ़ भारतमाला मुआवजा घोटाला : आरोपियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मनोज परांजपे और सरफराज खान ने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ जमानत न देने जैसा कोई ठोस वैधानिक आधार नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर यह फैसला सुनाया।
यह मामला भारतमाला हाईवे प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक के सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहीत जमीनों के मुआवजे में की गई अनियमितताओं से जुड़ा है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की जांच में सामने आया कि कुछ अफसरों और निजी व्यक्तियों ने मिलकर फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर करोड़ों रुपए का मुआवजा गलत लोगों को दिलवाया। जमीनों को टुकड़ों में बांटकर फर्जीवाड़ा किया गया।
गंभीर आरोपों के चलते पहले ही जगदलपुर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त और पूर्व एसडीएम निर्भय साहू, दो तहसीलदारों और तीन पटवारियों को निलंबित किया जा चुका है। इन सभी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुके हैं और वे फिलहाल फरार हैं। वहीं, ईओडब्ल्यू ने आज इस मामले में छह और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। राज्य सरकार ने घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंपी है। अब तक की जांच में सामने आया है कि इस घोटाले से सरकार को 600 करोड़ रुपए तक की आर्थिक क्षति हुई है।