रायपुर। CG Liquor Scam : छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ रुपये के बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की पूरक चार्जशीट ने एक बार फिर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इस घोटाले में न केवल अफसरों और कारोबारियों की मिलीभगत सामने आई है, बल्कि ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि दो बड़े नेताओं को हर महीने दो-दो बार 10-10 करोड़ रुपये दिए जाते थे। यही नहीं, इस गोरखधंधे से निकले 1500 करोड़ रुपये किसी पार्टी के फंड के नाम पर दिए गए, हालांकि डायरी में स्पष्ट नहीं है कि यह रकम किस पार्टी को गई — जिसकी जांच जारी है।
CG Liquor Scam : चार्जशीट के मुताबिक, 2019 से शराब विभाग में धांधली शुरू हुई। शुरुआती दौर में 800 पेटी शराब हर महीने अवैध रूप से डिस्टलरी से बाहर जाती थी, जिसकी कीमत 2840 रुपये प्रति पेटी थी। कुछ ही महीनों में यह संख्या बढ़कर 400 ट्रक प्रति माह हो गई और दाम 3880 रुपये तक पहुंच गए। ईओडब्ल्यू के अनुसार, एक साल में 60 लाख से ज्यादा पेटियां बेचकर करोड़ों की कमाई की गई।
इस अवैध शराब को 15 जिलों में सप्लाई किया गया, जिन्हें आठ ज़ोन में बांटा गया था। दुकानों में पहले से ही डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब पहुंचाई जाती थी। इस फर्जीवाड़े में अनुराग ट्रेडर्स, अमित सिंह, दीपक दुआरी और कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया की कंपनी सुमित फैसिलिटीज जैसे नाम सामने आए हैं। हर डुप्लीकेट होलोग्राम के बदले 8 पैसे कमीशन तय था।
रकम की वसूली के लिए अलग टीम बनाई गई थी, जिसमें सुब्बू, सिद्धार्थ सिंघानिया, अमित सिंह प्रमुख थे। धीरे-धीरे ये वसूली प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए की जाने लगी और हवाला के जरिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तक पैसा भेजा गया। बस, टैक्सी और मालवाहक गाड़ियों से नकदी पहुंचाई गई।
घोटाले के प्रमुख आरोपियों ने पत्नियों के नाम पर कंपनियां बनाकर पूरे सिस्टम को छुपाया। जैसे कि आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजूलता के नाम पर ‘रतनप्रिया मीडिया’ कंपनी बनाई और डुप्लीकेट होलोग्राम बनाने वाली कंपनी को सॉफ्टवेयर बेचने का बहाना बनाकर 50 लाख की डील की। वहीं बीएसपी के सस्पेंड कर्मचारी अरविंद सिंह ने अपनी पत्नी के नाम पर दो कंपनियां बनाईं — ‘अदीप एम्पायर’ और ‘माउंटेन व्यू इंटरप्राइजेज’, जिनसे शराब की अवैध डीलिंग की गई।
जांच में टुटेजा और ढेबर परिवार के नाम भी सामने आए हैं। इन परिवारों से जुड़े निवेश की भी ईओडब्ल्यू जांच कर रही है।