Bilaspur News : बिलासपुर। बिल्हा थाना क्षेत्र में जुआ एक्ट के तहत की गई कार्रवाई अब खुद पुलिस के लिए मुसीबत बनती जा रही है। चिचिरदा गांव के रहने वाले एक ग्रामीण रवि प्रकाश कौशिक ने बिल्हा थाना प्रभारी और कई पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें उनके खेत से जबरन उठाया, झूठे केस में फंसाया और 10,000 रुपये की अवैध वसूली की।
Bilaspur News : खेत से उठा ले गई पुलिस
Bilaspur News : रवि कौशिक के मुताबिक, 19 जुलाई की दोपहर लगभग 3 बजे वे ग्राम केशला स्थित अपने खेत में मजदूरों के साथ दवाई छिड़क रहे थे। उसी दौरान मौली चौक के पास उन्होंने अपनी इलेक्ट्रिक बाइक खड़ी की थी। रवि का आरोप है कि थाना बिल्हा के निरीक्षक उमेश साहू, प्रधान आरक्षक हमराज व अन्य आरक्षकों ने उनकी बाइक बिना किसी सूचना या कारण के जब्त कर ली।
Bilaspur News : जब इस बारे में गांव के सुखदास बंजारे से जानकारी मिली तो रवि मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने जब्ती का कारण पूछा, तो पुलिस ने उनके साथ गाली-गलौच की, मोबाइल फोन छीन लिया और जबरन थाने ले जाकर धमकाया।
Bilaspur News : थाने में मांगे 20 हजार, निकाले 10 हजार
Bilaspur News : रवि का कहना है कि थाने में उनसे 20 हजार रुपये की मांग की गई। जब उन्होंने असमर्थता जताई, तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें गंभीर धाराओं में फंसाने की धमकी दी। डरे सहमे रवि ने अपने बैंक खाते से 10 हजार रुपये निकालकर प्रधान आरक्षक बलराम विश्वकर्मा को दे दिए।
Bilaspur News : रकम देने के बावजूद जुआ एक्ट में दर्ज किया केस
Bilaspur News : रवि का आरोप है कि रुपये देने के बावजूद पुलिस ने उनके खिलाफ जुआ एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया और उनकी फोटो व वीडियो मीडिया को भेज दी, जिससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
Bilaspur News : आईजी और एसपी को सौंपी शिकायत, कार्रवाई की मांग
Bilaspur News : रवि कौशिक ने बिलासपुर रेंज आईजी और एसपी को लिखित शिकायत देकर मांग की है कि निरीक्षक उमेश साहू, प्रधान आरक्षक हमराज और अन्य छह आरक्षकों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि वे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और इस घटना ने उनकी प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचाया है।
Bilaspur News : फिलहाल, मामले की जांच की प्रतीक्षा की जा रही है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न सिर्फ कानून और मानवाधिकार का उल्लंघन होगा, बल्कि पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठेंगे।